प्रदूषण के संपर्क में आने से किशोरों के दिमाग पर पड़ता है बुरा असर, याददाश्त को कर सकता है प्रभावित
नए अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से किशोरों के विकासशील मस्तिष्क पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं, जिससे भाषा विकास, याददाश्त और मूड नि ...और पढ़ें
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वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से किशोरों के मस्तिष्क पर पड़ता है बुरा असर।
आईएएनएस, नई दिल्ली। वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से किशोरों के विकासशील मस्तिष्क पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं, जिससे भाषा विकास, याददाश्त और मूड नियंत्रण को नुकसान पहुंच सकता है। एक नए अध्ययन के अनुसार, यह जोखिम बच्चों के मस्तिष्क के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। वायु प्रदूषण पर्यावरण में पार्टिकुलेट मैटर, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ओजोन जैसे हानिकारक प्रदूषकों को फैलाता है।
अमेरिका की ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी (OHSU) के चिकित्सक-वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि वायु प्रदूषण किशोरों के मस्तिष्क में संरचनात्मक बदलाव से जुड़ा है, विशेष रूप से फ्रंटल और टेम्पोरल क्षेत्रों मेंये क्षेत्र कार्यकारी कार्य, भाषा, मूड नियंत्रण और सामाजिक-भावनात्मक प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होते हैं।
अध्ययन के मुख्य लेखक कैल्विन जारा ने कहा, "हमने पाया कि मस्तिष्क पर एक धीमा और सूक्ष्म प्रभाव पड़ रहा है, जो तुरंत लक्षण नहीं दिखाता, लेकिन समय के साथ विकास की दिशा और परिणामों को बदल सकता है।" कैल्विन जारा OHSU स्कूल ऑफ मेडिसिन में ओटोलैरिंगोलॉजी/हेड एंड नेक सर्जरी के रेजिडेंट हैं।अध्ययन के लिए टीम ने लगभग 11,000 बच्चों के डेटा का विश्लेषण किया।
जर्नल एन्वॉयरनमेंटल रिसर्च में प्रकाशित परिणामों से पता चला कि किशोरावस्था के शुरुआती चरण में (आमतौर पर 9 से 10 वर्ष की आयु) में विशिष्ट वायु प्रदूषकों के संपर्क से कॉर्टिकल मोटाई में स्थायी और विकासात्मक बदलाव जुड़े हुए हैं। यह मस्तिष्क की बाहरी परत की संरचनात्मक परिपक्वता का माप है। असामान्य कॉर्टिकल पतलापन, विशेष रूप से तेज पतलापन, अंतर्निहित न्यूरोलॉजिकल व्यवधान का संकेत हो सकता है और इससे संबद्ध संज्ञानात्मक हानि हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी कि मस्तिष्क में ये संरचनात्मक बदलाव बच्चे की समग्र स्वास्थ्य, कल्याण और जीवन पथ पर प्रभाव डाल सकते हैं। इन महत्वपूर्ण मस्तिष्क क्षेत्रों के विकास में बदलाव से ध्यान, स्मृति और भावनात्मक नियंत्रण बाधित हो सकता है, जिससे शैक्षणिक कठिनाइयां और व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि भविष्य के अध्ययन इन व्यापक दीर्घकालिक परिणामों की जांच जारी रखें।

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