रोजाना की भागदौड़ और स्क्रीन टाइम बढ़ा रहा तनाव, AIIMS ने बच्चों के मेंटल हेल्थ के लिए शुरू किया ‘मेट’ प्रोग्राम
आजकल की व्यस्त जीवनशैली और स्क्रीन पर अधिक समय बिताने के कारण बच्चों में तनाव बढ़ रहा है। AIIMS ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए ‘मेट’ नामक एक नया ...और पढ़ें
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सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। देश में हाल के दिनों में बच्चों में आत्महत्या और मानसिक तनाव के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी हैं। इस गंभीर मुद्दे को देखते हुए एम्स नई दिल्ली ने मेंटल वेलनेस को प्राथमिकता देने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। स्कूलों में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए मंगलवार को मेट (माइंड एक्टिवेशन थ्रू एजुकेशन) कार्यक्रम की शुरुआत की।
यह कार्यक्रम सीबीएसई के सहयोग से फिलहाल दिल्ली-एनसीआर और उत्तर-पूर्वी राज्यों के स्कूलों में चलाया जा रहा है।यह एक ऐसा माडल है जो इलनेस नहीं, वेलनेस पर काम करता है। इसका उद्देश्य है बच्चों में हाइपरटेंशन, ओबेसिटी, बिहेवियरल इश्यू, और डायबिटीज जैसी समस्याओं को धीरे-धीरे कम करना है।
''मेट फाइव'' का कान्सेप्ट है कार्यक्रम का प्रमुख हिस्सा
इस कार्यक्रम का प्रमुख हिस्सा है ''मेट फाइव'' का कान्सेप्ट, जिसके तहत बच्चों को कम से कम पांच असली दोस्त बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है, ताकि वे अपनी भावनाएं खुलकर साझा कर सकें। इसका सीधा संदेश है कि रील नहीं रियल दोस्त बनाओ। चिकित्सों के मुता बिक बच्चों का मानसिक विकास पूरी तरह परिवार के माहौल पर निर्भर करता है।
पति-पत्नी के बीच तनाव या विवाद का सीधा असर बच्चों के आत्मविश्वास और मानसिक स्थिति पर पड़ता है। इसका प्रभाव केवल बच्चों तक सीमित नहीं, बल्कि माता-पिता की हेल्थ, ब्लडप्रेशर, और फर्टिलिटी पर भी पड़ता है। मेट के तहत माता-पिता को भी पारिवारिक तनाव कम करने के तरीके सिखाए जा रहे हैं।
दिमाग को चाहिए रेस्ट
दिमाग को रेस्ट चाहिए, तभी वह क्रिएटिव सोच पाता है। लगातार स्क्रीन टाइम और कभी न रुकने वाली भागदौड़ बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को थका देती है। थोड़ा अकेले रहना, शांत रहना और बिना गैजेट वाले पल बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। मानसिक स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आर्थिक मुद्दा भी है।

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