देश में आत्महत्याओं की संख्या में आएगी कमी! इंजीनियरिंग के छात्रों ने किया कमाल; लोगों की हर गतिविधि पर रहेगा नजर
देश में आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए, एम्स दिल्ली ने मेडिकल छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए "नेवर अलोन" ऐप लॉन्च किया है। यह एआई-आधारित व्हाट्सएप चैटबॉट छात्रों को लक्षणों के आधार पर मनोचिकित्सकों से परामर्श करने में मदद करेगा। इस ऐप का उद्देश्य युवाओं में आत्महत्या की रोकथाम करना है और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे छात्रों को सहायता प्रदान करना है।

देश में हर साल औसतन 1,70,000 से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं।
मुहम्मद रईस, नई दिल्ली। देश में हर साल औसतन 1,70,000 से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, हर दिन 400 से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं। इंजीनियरिंग के छात्र हों या मेडिकल के, मानसिक तनाव अक्सर अवसाद का कारण बनता है।
उनके व्यवहार में बदलाव आता है और आत्महत्या के विचार मन में आने लगते हैं। मेडिकल छात्रों को इस स्थिति से बचाने और उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए, एम्स दिल्ली ने ग्लोबल सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव हेल्थ के साथ मिलकर "नेवर अलोन" ऐप विकसित किया है।
इस एआई-आधारित व्हाट्सएप चैटबॉट के ज़रिए छात्र अपने लक्षणों के आधार पर मनोचिकित्सकों से परामर्श ले सकेंगे। यह ऐप पिछले महीने लॉन्च किया गया था और जल्द ही यह एम्स दिल्ली, एम्स भुवनेश्वर और मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (आईएचबीएएस), शाहदरा के छात्रों के लिए निःशुल्क उपलब्ध होगा।
दरअसल, 2017 में आत्महत्या की दर प्रति लाख जनसंख्या पर 9.9 थी, जो 2022 में बढ़कर 12.4 प्रति लाख हो गई। इनमें युवाओं (18 से 45 वर्ष) की संख्या लगभग 66 प्रतिशत है। सरकार आत्महत्या रोकने के लिए विभिन्न पहल लागू कर रही है। 2022 में शुरू की गई राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (एनएसपीएस) का लक्ष्य 2030 तक आत्महत्या से होने वाली मौतों को 10 प्रतिशत तक कम करना है।
एम्स ने इस पहल को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया है। छात्र एआई आधारित व्हाट्सएप चैटबॉट के जरिए लक्षणों के आधार पर मनोचिकित्सकों से परामर्श ले सकेंगे। महज पांच मिनट की चैटिंग में आधे पेज की सारांश रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। लक्षणों की पहचान होने पर ऐप ऑन-कॉल काउंसलिंग का सुझाव देगा।
छात्र की मंजूरी मिलने पर रिपोर्ट पैनल मनोचिकित्सक को भेजी जाएगी, जो ऑनलाइन काउंसलिंग करेंगे और चिकित्सीय सलाह देंगे। रिपोर्टों के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित 70-80 प्रतिशत लोग इलाज नहीं कराते या बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं। यहां तक कि जिन मेडिकल कॉलेजों में मनोचिकित्सक और उपचार सुविधाएं उपलब्ध हैं, वहां भी यह दर ऊंची है।
छात्र किसी भी समय ऐप पर परामर्श और चिकित्सा सलाह प्राप्त कर सकेंगे। आने वाले दिनों में, अन्य संस्थान भी 70 पैसे प्रति छात्र प्रतिदिन के मामूली शुल्क पर इसका उपयोग कर सकेंगे।
आत्महत्या के आंकड़े एक नजर में
श्रेणी | प्रतिशत |
---|---|
पुरुष | 72.5% |
महिला | 27.4% |
18 से 30 वर्ष की आयु | 34.5% |
30 से 45 वर्ष की आयु | 31.7% |
18 से 45 वर्ष की आयु | 66% |
आत्महत्या के मुख्य कारण
कारण | प्रतिशत |
---|---|
पारिवारिक कारण | 31.7% |
बीमारी | 18.4% |
नशे की लत | 6.9% |
वैवाहिक कारण | 4.8% |
प्रेम संबंध | 4.6% |
दिवालियापन या कर्ज | 3.3% |
बेरोजगारी | 2.6% |
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