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    MCD उपचुनाव में AAP ने गंवाई अपनी दो सीटें, एक पर बगावत तो दूसरी सीट पर लोगों की नाराजगी ने किया नुकसान

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 11:46 PM (IST)

    दिल्ली के उपचुनाव में आम आदमी पार्टी को पुरानी दिल्ली की दो सीटें गंवानी पड़ीं। चांदनी चौक में भाजपा ने वापसी की, जबकि चांदनी महल में आपसी खींचतान और ...और पढ़ें

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    आम आदमी पार्टी ने पुरानी दिल्ली में मौजूद अपनी मजबूत दोनों सीटें गंवा दी।

    नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। उप चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पुरानी दिल्ली में मौजूद अपनी मजबूत दोनों सीटें गंवा दी। यहां चांदनी चौक व चांदनी महल के लिए उपचुनाव हुआ था। दोनों पर आप काबिज थी, लेकिन उप चुनाव के परिणाम में वह दोनों खाने चित्त हुई। चांदनी महल में आपसी रस्साकसी और विधायक की बगावत तो चांदनी चौक में मौजूदा विधायक के कामकाज से मतदाताओं की नाराजगी के चलते आप को बड़ा नुकसान हुआ।

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    वहीं, भाजपा ने चांदनी चौक में फिर से चमक बिखेरी है। चांदनी चौक सीट वैसे भी भाजपा की परंपरागत सीट रही है। ज्यादातर मौकों पर वह इसे जीतती रही है। इस सीट से पार्टी के दिग्गज नेता शांति देसाई भी पार्षद रह चुके हैं। अब तक पार्टी दो ही मौकों पर वर्ष 2002 और 2022 में हारी है।

    वर्ष 2020 में विधानसभा जीतने के बाद आप विधायक प्रह्लाद सिंह साहनी ने अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे पुनरदीप को हस्तांतरित करनी शुरू कर दी थी और वर्ष 2022 में उन्हें पार्षदी का चुनाव लड़वाकर जीतवाया। पुररदीप ने तेजी से आगे बढ़ते हुए इस वर्ष पिता की छोड़ी सीट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा और विपरित राजनीतिक माहौल में भी जीत दर्ज की है, लेकिन 10 माह बाद ही हुए पार्षद के चुनाव में यह सीट साहनी व आप के हाथ से फिसल गई।

    लोगों के बीच पार्षद व विधायक के तौर पर पुनरदीप की कम उपलब्धता, विकास कार्यों की अनदेखी के साथ अवैध निर्माण व अतिक्रमण का मामला पार्टी प्रत्याशी के लिए भारी पड़ गया। यहां से आप ने पूर्व पार्षद हर्ष शर्मा पर दांव लगाया था, लेकिन सफलता नहीं मिली, जबकि, भाजपा प्रत्याशी सुमन गुप्ता की स्वच्छ छवि और उनके सेवा कार्यों की वजह से चांदनी चौक में कमल खिलाने में सफल रहे।

    चांदनी महल सीट पर चुनाव आप और शोएब इकबाल के लिए वजूद की लड़ाई बन गया। अपने इलाके में मजबूत स्थिति की वजह से ही शोएब इकबाल ने अपना प्रत्याशी उतार दिया। स्वयं उन्होंने भी प्रचार किया था। इतना ही नहीं उनके बेटे आले मोहम्मद इकबाल ने आप के विधायक होने के बाद भी पार्टी से बागी होकर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी का जमकर प्रचार किया।

    पूर्व की भांति वह इस चुनाव में अपना वजूद बचाने में कामयाब रहे। साथ ही उन्होंने यह संदेश देकर की आप की मुश्किल बढ़ा दी है कि अगली बारी बल्लीमारान विधानसभा सीट की है। यानि शोएब इकबाल अगले विधानसभा चुनाव में यहां से कोई प्रत्याशी उतार सकते हैं।