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    एम्स के डॉक्टरों ने ब्लू व्हेल गेम से बच्चे को बचाया

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 16 Mar 2018 08:09 PM (IST)

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : पिछले साल ब्लू व्हेल गेम चर्चा का विषय रहा। इसके जाल में फंसकर आत्महत्या ...और पढ़ें

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    एम्स के डॉक्टरों ने ब्लू व्हेल गेम से बच्चे को बचाया

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : पिछले साल ब्लू व्हेल गेम चर्चा का विषय रहा। इसके जाल में फंसकर आत्महत्या के कई मामले भी सामने आए थे। इस बीच एम्स के डॉक्टरों ने एक बच्चे को ब्लू व्हेल गेम की लत से बाहर निकालने का दावा किया। वह बच्चा छह स्टेज पार कर चुका था। इसके पहले कि उसे और खतरनाक टास्क मिलता, समय रहते उसके पिता अस्पताल पहुंचे और मनोचिकित्सक की मदद से बच्चे की लत छुड़ाने में कामयाब रहे। एम्स के डॉक्टरों ने इस मामले को एशिया पैसिफिक साइकेट्री मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया है।

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    एम्स के डॉक्टरों के अनुसार, ब्लू व्हेल गेम की लत का यह पहला मामला है, जिसे मेडिकल जर्नल में रिपोर्ट किया गया है। बच्चों में ऑनलाइन खेलों की बढ़ती लत के मद्देनजर एम्स की तरफ से बिहेवियरल एडिक्शन क्लीनिक (बीएसी) चलाया जा रहा है। बच्चे के पिता पिछले साल उसे इसी क्लीनिक में लेकर पहुंचे थे। तब डॉक्टरों को बताया गया कि सोशल नेटवर्क के माध्यम से बच्चे को मोबाइल पर उस एप का लिंक मिला, जिस पर मछली का चित्र बना था। यह एप इंस्टॉल होने के बाद बच्चे को सबसे पहले दो बार ताली बजाकर मैं निडर हूं कहने का टास्क मिला था। फिर तीसरे टास्क में बच्चे को हाथ पर किसी धारदार चीज से एफ 15 लिखने का टास्क मिला। चौथे टास्क के रूप में उसे घर की बालकनी में दो से तीन घंटे खड़ा रहने, पांचवें टास्क में ब्लू व्हेल का चित्र बनाने व छठे टास्क के रूप में उसे उस मोबाइल एप से बजने वाले संगीत को सुनने के लिए कहा गया था। उसने सभी छह स्टेज पार कर लिए थे।

    सातवां टास्क मिलने से पहले पिता की नजर उसके मोबाइल पर पड़ी। उन्होंने एप को अनइंस्टाल किया और बच्चे को एम्स के मनोचिकित्सकों के पास लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने बच्चे के इलाज के दौरान उसके पिता की भी काउंसलिंग की। इस दौरान उसके पिता ने बताया कि बच्चे के स्वभाव में कुछ असामान्य चीजें नहीं दिख रही थी। स्कूल से भी कोई शिकायत नहीं मिली। हालांकि, उसे अकेले रहने की आदत थी। बच्चे को यह मालूम था कि इस खेल में शारीरिक तौर पर नुकसान पहुंचाने का टास्क मिलता है, फिर भी उसने जिज्ञासावश इसे खेलना शुरू किया।

    एम्स के मनोचिकित्सा विभाग व ड्रग्स डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. यतन पाल सिंह बलहारा ने कहा कि लोगों को जागरूक करने के लिए बीएसी क्लीनिक में वीडियो तैयार किया गया है, जिसमें ऑनलाइन खेलों के दुष्प्रभाव से बचाव का तरीका बताया गया है। उन्होंने कहा कि किशोर इसके शिकार अधिक होते हैं, इसलिए इंटरनेट के स्वस्थ इस्तेमाल के प्रति जागरूक होना जरूरी है।

    आधा दर्जन खतरनाक ऑनलाइन गेम हैं मौजूद

    ब्लू व्हेल अकेला ऑनलाइन खेल नहीं है, जिसमें खुद को नुकसान पहुंचाने का टास्क दिया जाता है। बल्कि एम्स के डॉक्टरों द्वारा तैयार वीडियो में बताया गया है कि इस तरह के आधा दर्जन गेम एप हैं, जिन पर कठिन टास्क दिए जाते हैं इसलिए माता-पिता व शिक्षकों को बच्चों पर नियमित निगरानी रखनी चाहिए और उनके स्वभाव को नोटिस करना चाहिए। माता-पिता को यह ध्यान देना चाहिए कि बच्चे अधिक देर तक इंटरनेट पर व्यस्त न रहने पाएं।