यशपाल जैन को सुलभ साहित्य अकादमी पुरस्कार
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : हिन्दी साहित्य में विशेष योगदान व कई पुरस्कारों से पुरस्कृत स्वर्गीय पदमश्री यशपाल जैन की जन्म शताब्दी पर हिन्दी साहित्य में उनके विशिष्ट योगदान के लिए पूर्व घोषित सुलभ-साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस सम्मान को उनकी पुत्री श्रीमती अन्नदा पाटनी को दिया गया। बतौर पुरस्कार उन्हें दो लाख रूपये का चेक व प्रशस्ति-पत्र दिया गया। पुरस्कार समारोह के इस कार्यक्रम के उपरांत गांधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा थिएटर ग्रुप की ओर से उनकी लिखी कहानी 'जीवन-सागर पर तैरती तरूणी' के नाट्य रूपांतरण का मंचन भी किया गया। हिन्दी भवन के सभागार में इसका आयोजन किया गया।
सम्मान के इस कार्यक्रम में सुलभ-स्वच्छता अकादमी के संस्थापक व पद्मभूषण डॉ. विन्देश्वर पाठक ने कहा कि वर्ष 2000 में ही साहित्यकार यशपाल जैन को इस पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई थी। लेकिन घोषणा के कुछ दिन बाद ही उनके निधन के चलते कार्यक्रम को लंबित करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि अनेक भाषाओं के ज्ञानी पंडित जैन गांधी विचारधारा के प्रबल समर्थक व प्रवक्ता रहे। इस मौके पर उपस्थित वरिष्ठ व लोकप्रिय रचनाकार वेद प्रकाश वैदिक ने कहा कि यशपाल जी ने गांधीजी की व्यक्तित्व संबंधी सैकड़ों पुस्तकों का संपादन, संकलन व लेखन किया है। जबकि उनकी अपनी 250 पुस्तकें हैं। उन्होंने कहा कि वे अनुवाद के प्रख्यात विद्वान थे। विदेशी विद्वानों व लेखकों की कई बेहतर रचनाओं को आज हम उन्हीं की वजह से पढ़ पा रहे हैं। वहीं लेखक व रचनाकार हिमांशु जोशी ने उनके कृतियों व व्यक्ति्व पर विस्तृत चर्चा की। पुरस्कार ग्रहण करने के बाद डॉ. यशपाल जैन की पुत्री श्रीमती अन्नदा पाटनी ने भावुक होकर कहा कि आज उन्हें उनके पिता की अनुपस्थिति बेहद खल रही है। उन्होंने अपने पिता की स्मृति में काव्य संग्रह 'पूर्णाहुति' काव्य संकलन की रचना की है, जिसका भी इस मौके पर विमोचन किया गया।
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