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    बिस्कुट बनाने के लिए विकसित किया 'पूसा बेकर' गेहूं

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    Updated: Wed, 27 Jun 2012 06:55 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : हरित क्रांति में अग्रणी भूमिका निभाने वाले भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने देश में पहली बार 'बेकरी' (बिस्कुट) बनाने के लिए गेहूं की प्रजाति 'पूसा बेकर' विकसित की है। यह किस्म यूरोपीय देशों द्वारा तय मानकों के अनुरूप है। बिस्कुट निर्माता नामचीन कंपनियों के साथ मिलकर पूसा बेकर की खेती को बढ़ावा देने की कवायद की जा रही है। प्रसार विभाग भी इस कार्य में जुटा है।

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    कृषि वैज्ञानिकों की माने तो फिलहाल देश में गेहूं की ऐसी कोई प्रजाति नहीं है, जो बिस्कुट बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरे। देश में उत्पादित गेंहू में कठोरता अधिक व स्प्रेड फैक्टर (लसलसा, नमी) कम होता है। ऐसे में यह बिस्कुट बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है। यही वजह है कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आइएआरइ) पूसा के जेनेटिक्स विभाग ने शोध शुरू किया। मैक्सिको प्रजाति की गेहूं को क्रॉस कराकर 'पूसा बेकर' किस्म विकसित की गई है। वैज्ञानिकों को आठ साल की मेहनत व परीक्षण के बाद यह सफलता हासिल हुई। पूसा बेकर गेहूं की खेती पहाड़ी इलाकों जैसे जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल में की जा सकती है। वहां के किसानों के लिए यह फसल फायदेमंद रहेगी।

    इसका उत्पादन प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल दर्ज किया गया है। यह 110 दिनों में तैयार हो जाता है। पूसा बेकर किस्म को विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉ. संजय सिंह ने कहा कि देश में गेहूं की कठोरता सूचकांक 70 है, जबकि यूरोपीय देशों ने बेकरी के लिए गेहूं की कठोरता सूचकांक 40 तक तय किया है। नई प्रजाति पूसा बेकर की कठोरता सूचकांक 32 है। इसके अलावा समान्य गेहूं में स्प्रेड फैक्टर सात होता है। यूरोपीय देशों में 9 तक होता है। पूसा बेकर में स्प्रेड फैक्टर 10.2 तक आंका गया है। वहीं पूसा बेकर में 11 प्रतिशत प्रोटीन है। ऐसे में पूसा बेकर में वह सभी गुण हैं जो स्वादिष्ट व सेहत से भरपूर बिस्कुट बनाने के लिए जरूरी है।

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