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    चंट्टानें बताएंगी अपनी उम्र और महत्व

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    Updated: Thu, 29 Dec 2011 08:18 PM (IST)

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    वी.के.शुक्ला, नई दिल्ली

    राजघाट के विभिन्न समाधि स्थल परिसर की चंट्टानें जल्द ही लोगों के ज्ञान का केंद्र बनेंगी। केंद्र सरकार द्वारा इन पत्थरों पर कराई गई रिसर्च के बाद इनकी वास्तविक उम्र का पता चल सका है। रिसर्च में सामने आया है कि इसमें से कुछ पत्थर करोड़ों वर्ष पुराने हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो हिमालय पर्वत के निर्माण के समय बनें। इन पत्थरों पर शोध कर चुके वैज्ञानिकों की मानें तो अधिकतर ऐसे पत्थर हैं जो कभी पेड़ थे और धीरे-धीरे पत्थर बनते गए। इन पत्थरों में कुछ ऐसे नमूने नजर आते है, जो देखने में बिल्कुल पेड़ जैसे लगते हैं। लकड़ी से पत्थर कैसे बनता है, इन पत्थरों को देखकर आप यह जानकारी ले सकते हैं।

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    राजघाट पर पत्थरों की कई हजार चंट्टानें हैं, जो देश के विभिन्न क्षेत्रों से लाई गई हैं। यह चट्टानें आठ सौ किस्म की हैं। इन्हें राजघाट पर समाधि क्षेत्र विकसित होने के साथ ही लाया जाता रहा है। इन पत्थरों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए पिछले कई साल से काम चल रहा था। इस बारे में भारत सरकार द्वारा कराए गए रिसर्च में इन चंट्टानों की आंकलित आयु पता की गई है। अब शहरी विकास मंत्रालय ने चंट्टानों के बारे में जानकारी से संबंधित बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं। फिलहाल केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने प्रयोग के तौर पर राजघाट समाधि क्षेत्र में कुछ चंट्टानों के पास छोटे बोर्ड लगाए, जिन्हें विभाग की स्वीकृति मिल गई है। विभाग के सूत्रों ने बताया कि अगले दो-तीन महीने में यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इससे लोगों को जानकारी मिल सकेगी कि कौन सी चंट्टान कितनी पुरानी और इसे कहां से लाया गया। साथ ही इसका इतिहास क्या रहा है।

    कुछ चंट्टानों के नाम और उम्र

    नाइसोस क्वार्टजाइट :

    हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के सतलुज घाटी में पपरी कर्च क्षेत्र से लाई गई है। इसकी आंकलित आयु 15 सौ मिलियन वर्ष यानी एक अरब 50 हजार करोड़ वर्ष है।

    तांबा अयस्क :

    यह चंट्टान मध्य प्रदेश के बालाघाट जिला के मलांजखंड में पाई गई है। इसी पत्थर से तांबा निकाला जाता है। चंट्टान में भी तांबे के तत्व दिखाए देते हैं। इस चट्टान की आंकलित आयु 2450 मिलियन वर्ष है।

    चूना पत्थर :

    यह चंट्टान छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के नंदिनी से प्राप्त हुई है। यह जीव जैसी आकृति की है। इस चंट्टान ने प्राकृतिक अपक्षय प्रणाली के कारण जीवों जैसी आकर्षक आकृति प्राप्त कर ली है। इस चट्टान की आयु पांच सौ मिलियन वर्ष आंकी गई है।

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