थायराइड में होम्योपैथी बना रामबाण
राहुल आनंद, नई दिल्ली
थायराइड के मरीजों को अब जिंदगी भर दवा खाने की जरूरत नहीं है। इसके इलाज में होम्योपैथी की दवा काफी कारगर साबित हुई है। होम्योपैथी के क्षेत्र में किया गया यह अध्ययन उन लोगों को भी दवा से छुटकारा दिला देगा जो बचपन से थायराइड से पीड़ित थे। जानकारों का कहना है कि यह अध्ययन थायराइड के इलाज में रामबाण साबित होगा। इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (इनमास) और नेहरू होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एनएचएमसी), डिफेंस कॉलोनी के डॉक्टरों की टीम द्वारा इस अध्ययन को अंजाम दिया गया। इनमास में डॉक्टर रहे मेजर आरके मारवाह के नेतृत्व में डॉ. आरके मनचंदा और एनएचएमसी की डॉ. अर्चना नारंग भी अध्ययन टीम में शामिल थे। तीन साल के अध्ययन के बाद डॉक्टरों को अपने अध्ययन में सफलता प्राप्त हुई है।
डॉ. अर्चना नारंग ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि वर्ष 2008 में यह अध्ययन शुरू हुआ था जिसमें दिल्ली के आठ सरकारी व निजी स्कूलों के 6 से 18 साल की उम्र के 5281 बच्चों को शामिल गया, जिसमें लड़के व लड़की दोनों थे। सभी बच्चों का वजन, शारीरिक क्षमता, लंबाई, थायराइड, अल्ट्रासाउंड के अलावा थायराइड फंक्शन टेस्ट (टीएसएच) जैसी क्लीनिकल जांच इनमास में की गई। दस प्रतिशत बच्चों में थायराइड की अलग-अलग बीमारियां पाई गई। अभिभावकों की सहमति के बाद कुल 194 बच्चे होम्योपैथी के इलाज और अध्ययन के लिए तैयार हुए। इन बच्चों में माइल्ड थायराइड की समस्या थी।
डॉ. अर्चना ने बताया कि इन बच्चों को दो ग्रुप में बांटा गया। एक ग्रुप को होम्योपैथिक दवा दी गई और दूसरे को बिना दवा के ही रखा गया। पहले ग्रुप के मरीजों को आठ दवाएं दी गई, जिनमें से कैलकेरिया कार्ब, कैलकेरिया सल्फर, फास्फोरस, नेट्रियम मूर व साइलेसिया प्रमुख थीं। 18 महीने तक फॉलोअप किया गया। अध्ययन में पाया गया कि जिन बच्चों को दवा दी गई, उनमें से 80 प्रतिशत का थायराइड बिल्कुल खत्म हो गया। और यहीं नहीं, एक भी बच्चे में थायराइड की समस्या बढ़ी नहीं पाई गई। जबकि दूसरे ग्रुप में जिसे दवा नहीं दी गई थी, उनमें से आठ बच्चों को एलोपैथी की दवा की जरूरत पड़ी।
डॉ. अर्चना के अनुसार इस अध्ययन से यह साफ हो गया है कि हमें थायराइड में होम्योपैथी की दवा का सहारा लेना चाहिए। इससे जहां कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, वहीं इसके प्रभाव के बाद मरीज को जिंदगी भर दवा की जरूरत नहीं पड़ती।
क्या है थायराइड
यह हमारे शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथियों में से एक है, जो गले में कार्टिलेज के ठीक नीचे होती है। यह शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। इसके लिए यह हार्मोन बनाती है, जो एक मास्टर की तरह शरीर की कोशिकाओं को नियंत्रित करती है। लेकिन जब यह हार्मोन ज्यादा या कम बनने लगता है तो परेशानी बढ़ जाती है। महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन की वजह से थाइराइड की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक होती है। इसका उपाय लगातार इलाज कराते रहना है। देश भर में 4 करोड़ 20 लाख लोग थायराइड से पीड़ित हैं।
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