असाध्य बीमारी से जूझ रहे 50 बच्चों की जिंदगी खतरे में, फंड के अभाव में इलाज रुका तो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अभिभावक
दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे 50 बच्चों का इलाज फंड की कमी के कारण रुक गया है, जिससे उनकी जान खतरे में है। परेशान अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सरकार से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने अदालत से बच्चों के इलाज के लिए तुरंत धन उपलब्ध कराने का आग्रह किया है ताकि उनकी जान बचाई जा सके।

जागरण संवादाता, नई दिल्ली। लायसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर (एलएसडी) जैसी असाध्य बीमारियों से पीड़ित 50 से अधिक बच्चों के जीवन पर संकट मंडरा रहा है। ऐसा राष्ट्रीय असाध्य रोग नीति 2021 के तहत एकमुश्त पचास लाख रुपये की सीमा पार होने पर सहायता बंद होने से हुआ हो रहा है। पीड़ित बच्चे बिना दवा के हैं, अस्पतालों में उनका उपचार ठप पड़ा है। अभिभावक चिंतित और परेशान हैं।
वह न्याय की अंतिम उम्मीद में सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गए हैं। लायसोसोमल स्टोरेज डिसआर्डर सपोर्ट सोसाइटी ने मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण आर गवई को पत्र भेजकर इस संदर्भ में लंबित विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी(सी) नं. 28777/2024) पर त्वरित सुनवाई की अपील की है।
लायसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर (एलएसडी) जैसी असाध्य बीमारियां कई बच्चों में होती हैं। अध्ययन बताता है कि भारत में लगभग सात से नौ करोड़ के बीच लोग किसी न किसी असाध्य बीमारी से प्रभावित हैं। इनमें से अस्सी प्रतिशत से अधिक बचपन में ही हो जाती हैं।
एलएसडी के आंकड़े बताते हैं कि हर वर्ष करीब चार हजार नवजात इस रोग से प्रभावित होते हैं। गंभीर यह है कि अब इन बच्चों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा। एन्जाइम रिप्लेसमेंट थेरैपी (इआरटी) जैसी जीवनरक्षक चिकित्सा बंद होने से उनके अंगों में सूजन, विकास का रुक जाना, खून में हीमोग्लोबिन की कमी और लगातार बढ़ती पीड़ा जैसी स्थितियां सामने आ रही हैं।
दिल्ली, पश्चिम बंगाल, झारखंड और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों ने अपने बच्चों के उपचार को दिल्ली आए स्वजन ने बताया है कि 50 से अधिक बच्चे ऐसे हैं जिनकी एन्जाइम थेरैपी रुकी हुई है। यदि शीघ्र ही कोई कदम नहीं उठाया गया उनकी जान भी जा सकती है।
लायसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर सपोर्ट सोसाइटी का कहना है कि यह स्थिति केवल चिकित्सा संकट नहीं, बल्कि यह सरकारी इच्छाशक्ति की परीक्षा भी है। बच्चों की जिंदगी बचाने का वादा संविधान और नीति दोनों करते हैं, वे ही आज सरकारी अनदेखी का शिकार हैं।
सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंजीत सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के भेजे पत्र में लिखा है कि अलग-अलग राज्यों से आए परिवार अपने बच्चों की एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी (ईआरटी) के रुक जाने से गहरे संकट में हैं। यह थेरेपी राष्ट्रीय दुर्लभ (असाध्य) रोग नीति 2021 (नेशनल पालिसी फार रेयर डिजीज 2021) के तहत मिल रही थी, लेकिन एकमुश्त वित्तीय सीमा 50 लाख पूरी होने के बाद इसे रोक दिया गया है।
बताया कि संस्था ने सप्रीम कोर्ट को यह पत्र सात नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई के मद्देनजर भेजा गया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने चार अक्टूबर 2024 को सरकार को राहत देने के निर्देश दिए थे, परंतु अब तक किसी भी तरह की वित्तीय सहायता बहाल नहीं हुई है। मंजीत सिंह ने मांग की कि असाध्य रोगों से जुड़े मामले की शीघ्र सुनवाई हो और दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन हेतु अंतरिम राहत दी जाए, ताकि बच्चों का जीवनरक्षक इलाज तुरंत शुरू हो सके।

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