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    देश के आठ राज्यों में फैला रखा था फर्जी डिग्री और सर्टिफिकेट का काला धंधा, रैकेट चला रहे पांच गिरफ्तार

    By Jagran News NetworkEdited By: Kushagra Mishra
    Updated: Fri, 20 Jun 2025 07:04 PM (IST)

    Delhi Police की क्राइम ब्रांच की टीम ने Fake Degree और Certificate बनाने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इस गिरोह से आठ राज्यों के विश्वविद्यालयों की फर्जी डिग्री और सर्टिफिकेट बरामद किए गए हैं। इनके कब्जे से 228 मार्कशीट, 27 डिग्री और 20 माइग्रेशन सर्टिफिकेट मिले हैं। आरोपितों की पहचान विक्की हरजानी, विवेक गुप्ता, सतबीर सिंह, नारायण जी और अवनीश कंसल के रूप में हुई है। जो कोचिंग सेंटरों और शिक्षण संस्थानों के मालिक हैं। 

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने Fake Degree और Certificate बनाने वाले संगठित रैकेट का पर्दाफाश करते हुए पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया है।

    ये आरोपित छात्रों से मोटी रकम वसूलकर देशभर के कई विश्वविद्यालयों के नाम पर फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट तैयार करते थे। पुलिस ने इनके कब्जे से 275 जाली दस्तावेज (228 मार्कशीट, 27 डिग्री और 20 माइग्रेशन सर्टिफिकेट), 6 लैपटाप और 20 मोबाइल फोन बरामद किए हैं।

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    गिरफ्तार आरोपितों की पहचान विक्की हरजानी, विवेक गुप्ता, सतबीर सिंह, नारायण जी और अवनीश कंसल के रूप में हुई है। सभी विभिन्न राज्यों में संचालित कोचिंग व शिक्षा संस्थानों के मालिक हैं। पुलिस उनसे पूछताछ कर गिरोह में शामिल अन्य आरोपितों की तलाश में जुटी है।

    एनसीआर के कई कोचिंग सेंटरों में चल रहा था फर्जी डिग्री का धंधा

    विशेष पुलिस आयुक्त अपराध देवेश चंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक, हेड कांस्टेबल हरेंद्र मलिक को अपने सूत्रों से दिल्ली और एनसीआर में कई शिक्षण संस्थानों के बारे में विश्वसनीय जानकारी मिली थी, जो छात्रों से मोटी रकम वसूलने के बाद फर्जी डिग्री जारी कर रहे थे।

    ये डिग्रियां, जो अक्सर पुरानी होती थीं, देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से होने का दावा किया गया था। शुरुआती जांच में कई कोचिंग सेंटर मालिकों और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की संलिप्तता का पता चला। एसीपी रमेश लांबा और इंस्पेक्टर मनमीत मलिक के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया।

    आठ राज्यों की यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियां व सर्टिफिकेट मिलें

    टीम ने नेताजी सुभाष प्लेस में परमहंस विद्यापीठ के मालिक विक्की हरजानी को गिरफ्तार किया। उसके वाहन और कार्यालय की तलाशी में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, सिक्किम, मेघालय और तमिलनाडु के विश्वविद्यालयों के 75 जाली शैक्षणिक दस्तावेज मिले।

    हरजानी से पूछताछ के बाद, रैकेट में शामिल चार और आरोपितों को गिरफ्तार किया गया। सभी अलग-अलग राज्यों में संचालित विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के मालिक थे। टीम ने कुल 275 जाली शैक्षणिक दस्तावेज बरामद किए, जिनमें डिग्री, मार्कशीट और प्रोविजनल सर्टिफिकेट शामिल हैं।

    पांच हजार से ज्यादा दस्तावेज की सॉफ्टकॉपी मिली

    पूछताछ में सामने आया कि ये लोग बीए, बीकॉम, बीटेक, एमबीए सहित कई पाठ्यक्रमों की फर्जी डिग्रियां तैयार करते थे। लैपटाप और मोबाइल से पता चला कि इनके पास दस्तावेजों की पांच हजार से अधिक साॅफ्टकाॅपी पहले से मौजूद थीं।

    यह भी पता चला कि 20 से 25 कोचिंग सेंटर इस नेटवर्क का हिस्सा हैं, जो छात्रों को उनकी जरूरतों के आधार पर कस्टमाइज किए गए नकली दस्तावेज प्रदान करते थे।

    सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर करते थे प्रचार

    आरोपित दिल्ली और एनसीआर में शैक्षणिक काल सेंटर चलाते थे। वे व्हाट्सएप, टेलीग्राम, फेसबुक और एक्स के माध्यम से प्रचार करते थे और कोचिंग हब, स्कूलों और छात्रों के हास्टल्स के पास पर्चे बांटते थे।

    छात्रों को मान्यता प्राप्त यूजीसी और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिलाने का वादा करके अक्सर पिछली तारीख के दस्तावेजों की पेशकश के साथ लुभाया जाता था।

    इसके बाद छात्र अपने व्यक्तिगत और शैक्षणिक विवरण उन्हें देते थे, जिन्हें नेटवर्क के अन्य सदस्यों को भेज दिया जाता था। फिर गिरोह वैध विश्वविद्यालयों से मिलते-जुलते पेशेवर दिखने वाले जाली दस्तावेज तैयार करते थे।

    इस तरह बंटा हुआ था काम

    गिरोह का सरगना विक्की हरजानी है, जो 10वीं पास है और नेताजी सुभाष पैलेस और रोहिणी में परमहंस विद्यापीठ चलाता है। उसका काम संभावित छात्रों तक पहुंचने के लिए टेली-कालर नियुक्त करना था।

    विवेक गुप्ता नोएडा में 6-7 शैक्षणिक केंद्र संचालित कर रहा था और पहले भी इसी तरह के मामलों में शामिल रहा है। वह पुलिस थाना न्यू शिमला, हिमाचल प्रदेश में एक मामले में वांछित है।

    सतबीर सिंह फरीदाबाद में एक पार्टनर के साथ गुरुकुल शिक्षा केंद्र चलाता है। नारायण बिहार से गिरोह का संचालन कर रहा था और वर्तमान में दिल्ली-एनसीआर में विस्तार करने की कोशिश में था। अवनीश कंसल पहले भी राजस्थान में इसी तरह के दो मामलों में शामिल रहा है।