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Kargil War: लांस नायक सतबीर ने टोलोलिंग हिल पर चढ़ाई कर छुड़ाए थे दुश्मनों के छक्के

सतबीर ने बताया कि उनके दाहिने पैर में दो गोलियां लगी थीं और उनके पीछे चल रहे राजस्थान के सुरेंद्र सिंह को भी गोलियां लगी थीं लेकिन हौसला कम नहीं हुआ।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 08:19 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 08:19 AM (IST)
Kargil War: लांस नायक सतबीर ने टोलोलिंग हिल पर चढ़ाई कर छुड़ाए थे दुश्मनों के छक्के
Kargil War: लांस नायक सतबीर ने टोलोलिंग हिल पर चढ़ाई कर छुड़ाए थे दुश्मनों के छक्के

नई दिल्ली [संजय सलिल]। पैरों में दो-दो गोलियों के साथ पूरे शरीर में कई जगहों पर छर्रे लगने के बावजूद कारगिल युद्ध के दौरान लांस नायक सतबीर सिंह पाकिस्तानी सैनिकों व घुसपैठियों से दस घंटे तक लोहा लेते रहे। इस दौरान उन्होंने खुद चार दुश्मनों को ढेर कर दिया। दस घंटे तक डटे रहने के बाद उन्हें सेना के बेस अस्पताल में प्राथमिक उपचार मिल सका था।

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बुराड़ी इलाके के मुखमेलपुर निवासी सतबीर कारगिल युद्ध के संस्मरणों को सुनाते हुए अपनी मुट्ठी भींच लेते हैं। 54 वर्षीय सतबीर की आंखों में 21 साल पुराने युद्ध का एक-एक दृश्य जीवंत हो उठता है।

12 जून 1999 की रात को मरते दम तक नहीं भूल सकते

वह कहते हैं कि 12 जून 1999 की उस रात को वह मरते दम तक नहीं भूल सकते हैं। उस रात 11 बजे उनका करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित टोलोलिंग हिल पर पाकिस्तानी सैनिकों से आमना सामना हुआ था। पाक सैनिकों के साथ घुसपैठिए भी थे। कुल 24 सैनिकों की तीन टीम एक दिन व दो रात की चढ़ाई की। इसके बाद बर्फ व पत्थरों से अटे दुर्गम टोलोलिंग हिल पर पहुंचे थे। उनकी कंपनी के कंमाडर मेजर विवेक गुप्ता थे। सतबीर के दल में नौ सैनिक थे। इनमें वह सबसे आगे चल रहे थे।

पहाड़ी पर चढ़ते ही जैसे ही उनकी नजर ऊंचाई पर मौजूद दुश्मनों पर पड़ी तो सबसे पहले उन्होंने हैंड ग्रेनेड से उन पर हमला किया, लेकिन हैंड ग्रेनेड के फटने से पहले ही उन्होंने अपनी राइफल से कुछ ही सेकेंड में तीस गोलियां बरसा दीं जिससे तीन दुश्मन ढेर हो गए।

दुश्मन के कई लोगों को मार गिराया

गोलियों व हैंड ग्रेनेड के हमले के बाद दुश्मन भी सतर्क हो गए और उन्होंने ऊंचाई से ही भारी-भरकम मशीनगनों से गोलियां व हथगोले बरसाने शुरू कर दिए। दुश्मनों ने पहाड़ी पर तीन-तीन मंजिल के बंकर बना रखे थे। दुश्मनों ने उस इलाके को करीब डेढ़ सालों से अपने कब्जे में ले रखा था और ऊंचाई पर होने के कारण उन्हें सेना की हर गतिविधियों का पहले से पता चल जाता था। दुश्मनों के लिए यह हमला अप्रत्याशित था। गोलियों की बौछार से दुश्मन दल के कई सदस्य मौत की नींद सो चुके थे। अंत में दो बचे थे, जिनमें से एक को सतबीर ने मार गिराया । इस दौरान उनकी कंपनी कंमाडर विवेक गुप्ता समेत कुल सात सैनिक शहीद हो चुके थे।

हजारों फीट ऊंचाई पर फहराया तिरंगा

सतबीर ने बताया कि उनके दाहिने पैर में दो गोलियां लगी थीं और उनके पीछे चल रहे राजस्थान के सुरेंद्र सिंह को भी गोलियां लगी थीं, लेकिन हौसला कम नहीं हुआ। दुश्मनों की अंधाधुंध फायरिंग के बीच उन्हें शिकस्त देते हुए तड़के साढ़े चार बजे वह दुश्मनों के अड्डे तक पहुंच गए और हजारों फीट ऊंचाई पर तिरंगा फहरा दिया। इसके बाद भी सतबीर व उनके साथियों ने दस घंटे तक मोर्चा जमाए रखा, जब तब कि दूसरे सैन्य दल ने पहुंचकर मोर्चा नहीं थाम लिया।

सतबीर बताते हैं कि गोली लगने के कारण उनके शरीर से लगातार खून बह रहा था। खून को रोकने के लिए उन्होंने दाहिने पैर में घुटने से ऊपर रस्सी बांध ली थी। इसके बावजूद खून का बहना बंद नहीं हुआ था और जब उन्हें द्रास सेक्टर के बेस अस्पताल में पहुंचाया तो उनके शरीर से काफी खून बह चुका था, लेकिन डॉक्टरों ने लंबे इलाज के बाद उन्हें बचा लिया।


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