National Doctor's Day 2020: इलाज करते हुए चपेट में आए ठीक होकर फिर से मैदान में
National Doctors Day 2020 एक कोरोना वॉरियर हैं दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के निदेशक डॉ. सुरेश कुमार जिनके नेतृत्व में प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल शुरू हुआ।
रणविजय सिंह। National Doctor's Day 2020 कोविड-19 से पूरा देश जूझ रहा है। डॉक्टर व नर्स इसका सीधा सामना कर रहे हैं। मरीजों के इलाज के साथ उनके सामने खुद को भी सुरक्षित रखने की चुनौती है। उमस भरी इस गर्मी में घंटों पीपीई किट पहनकर ड्यूटी करना भी आसान नहीं। कई बार तो डॉक्टर गश खाकर गिर जाते हैं तो कई बार मरीजों का इलाज करतेकरते खुद कोरोना संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे ही एक कोरोना वॉरियर हैं दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के निदेशक डॉ. सुरेश कुमार, जिनके नेतृत्व में अस्पताल में प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल शुरू हुआ।
अपना अनुभव साझा करते हुए वह कहते हैं कि मरीज ही नहीं बल्कि डॉक्टर, नर्स व पैरामेडिकल कर्मचारियों के लिए यह समय बहुत चुनौतीपूर्ण है। यह बहुत मुश्किल भरा समय है। डॉक्टरों व नर्स व पैरामेडिकल कर्मचारियों की ड्यूटी का समय कई गळ्ना बढ़ गया है। इसके अलावा मनोवैज्ञानिक डर भी है कि उन्हें भी संक्रमण न हो जाए। कई बीमारियों के इलाज में संक्रमण का जोखिम होता है लेकिन इस तरह के मनोवैज्ञानिक डर व परिस्थितियों से डॉक्टर कभी नहीं गुजरे। लंबी ड्यूटी के बाद डॉक्टर घर पर नहीं जा पाते क्योंकि घर में माता-पिता व बच्चे होते हैं। मन में आशंका रहती है कि कहीं घर जाने से उनकी वजह से परिवार के अन्य सदस्य संक्रमित न हो जाएं। परिवार से दूर होटल या अस्पताल में ही किसी कमरे में रहना पड़ता है, जहां सहज महसूस नहीं करते।
दूसरी बात यह है कि शिफ्ट में ड्यूटी रहती है। कभी सुबह, कभी दोपहर तो कभी रात के वक्त। इसलिए सोने का रूटीन भी गड़बड़ हो जाता है। इस वजह से डॉक्टर आराम महसूस नहीं कर पाते। इस वजह से कई बार डॉक्टर पस्त हो जाते हैं और मांसपेशियों में थकान महसूस होने लगती है। इन सबसे पार हुए तो 15 दिन की लगातार ड्यूटी के बाद सात दिन का क्वारंटाइन तो है ही। डॉ. सुरेश कुमार कहते हैं, मैं खुद भी तीन माह से घर नहीं गया। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) के ही एक कमरे में रह रहा हूं। पिता जी को मधुमेह है। डर लगता है कि घर जाने पर उन्हें भी संक्रमण हो जाएगा। इसलिए अस्पताल में ही कमरा लिया है। वीडियो कॉलिंग के जरिए प्रतिदिन परिवार के सदस्यों से बात हो जाती है। वे कुछ दिनों के अंतराल पर कपड़े धुलवाकर भेज देते हैं।
रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर दो दिन नहीं आई नींद : मरीजों के इलाज के दौरान डॉ. सुरेश कुमार खुद कोरोना की चपेट में आ गए। वे बताते हैं, जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर मुझे भी डर लगा लेकिन पिता जी व पत्नी को ज्यादा डर था। वे अस्पताल में भर्ती होने के लिए दबाव बनाने लगे। पत्नी काफी परेशान रहती थी क्योंकि इस बीमारी के नाम से ही डर लगता है। उस दौरान एक-दो दिन बहुत ज्यादा खांसी रही। इतना मानसिक दबाव महसूस हो रहा था कि दो दिन तो बिल्कुल सो नहीं पाया। ईश्वर की कृपा रही कि अस्पताल में नौ दिन भर्ती रहने के बाद रिकवरी हो गई। इसके बाद दोबारा ड्यूटी ज्वाइन कर ली।
कभी नहीं देखा ऐसा समय: डॉ. सुरेश कुमार कहते हैं, मेडिकल प्रोफेशन में करीब 30 साल हो गए। विभिन्न बीमारियों व हजारों मरीजों का इलाज किया लेकिन ऐसी महामारी अपने जीवन में पहले नहीं देखी थी। स्वाइन फ्लू का संक्रमण तक इतनी तेजी से नहीं फैला था। कोरोना बहुत तेजी से फैलने वाली बीमारी है और मृत्यु दर भी स्वाइन फ्लू की तुलना में अधिक है। हमसे वरिष्ठ डॉक्टर भी बताते हैं कि उन्होंने भी अपने जीवन में ऐसी महामारी नहीं देखी जिसमें इतनी अधिक संख्या में लोग संक्रमित हुए और इतने लोगों की जानें चली गई। यह ऐसी बीमारी है जो डॉक्टरों को भी नहीं छोड़ रही है, इसलिए डॉक्टर समुदाय में भी भय का माहौल है। दुनिया भर में इस पर शोध चल रहे हैं। दवा और टीका आने पर स्थिति सामान्य होगी।
कोरोना को न लें हल्के में: डॉ. सुरेश कुमार कहते हैं, बाजार व सार्वजनिक परिवहन के साधन खुल गए हैं। लोगों की आवाजाही शुरू हो गई है। आज डॉक्टर्स डे पर सबसे बस यही निवेदन है कि आप लोग इस बीमारी को हल्के में न लें। कहीं भी भीड़ न लगाएं और भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। मास्क का इस्तेमाल बहुत जरूरी है। घर से बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें। इसके अलावा साबुन से हाथ धोने तथा शारीरिक दूरी के नियम का पालन जरूर करें। इसमें लापरवाही कतई ठीक नहीं है क्योंकि दुश्मन अदृश्य है।
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