केजरीवाल सरकार ने दिल्ली HC में कहा- शराब की बिक्री और खरीद मौलिक अधिकार नहीं
दिल्ली सरकार ने कहा कि राज्य का राजस्व काफी गिर गया था और शराब से हो रही कमाई का इस्तेमाल उस नुकसान को पूरा करने में किया जा रहा है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली में शराब की बिक्री पर 70 फीसद की बढ़ोतरी के खिलाफ दायर याचिका पर आम आदमी पार्टी सरकार ने शपथ पत्र दाखिल कर कहा कि शराब की बिक्री और खरीद मौलिक अधिकार नहीं है। दिल्ली सरकार ने कहा कि उत्पाद शुल्क विभाग बिक्री को नियंत्रित और प्रतिबंधित कर सकता है, क्योंकि शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
वहीं, दिल्ली सरकार ने शराब के दामों में 70 फीसदी बढ़ोतरी पर कहा कि कोरोना के दौरान राज्य का राजस्व काफी गिर गया था और शराब से हो रही कमाई का इस्तेमाल उस नुकसान को पूरा करने में किया जा रहा है। 70 फीसद की बढ़ोतरी के खिलाफ दायर याचिकाएं शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं।
दिल्ली सरकार ने शपथ पत्र में कहा कि 4 से 25 मई के बीच शराब की बिक्री से 227 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है। इसमें 127 करोड़ रुपये स्पेशल कोरोना फी के रूप में मिला है। वहीं मई 2019 में कुल 425 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था। पिछले वर्ष 800 शराब की दुकानें खुली थीं, जबकि इस समय इसकी 40 फीसद ही दुकानें प्रतिबंध के कारण खुल रही हैं।
अधिवक्ता ललित वलेचा समेत कई लोगों की तरफ से दिल्ली में शराब के दामों में 70 फीसदी बढ़ोतरी के खिलाफ याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया था कि कोरोना काल में जब लोगों के पास रुपये नहीं बचे हैं, ऐसे में 70 फीसदी शराब के दामों में बढ़ोतरी जायज नहीं है। शराब बेचने से पहले तमाम तरह के टैक्स लगा दिए जाते हैं, ऐसे में 70 फीसदी दाम और बढ़ाना सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करता है।
यहां पर बता दें कि लॉकडाउन-4 की शुरुआत के साथ ही देशभर में शराब की बिक्री शुरू हो गई थी, इस दौरान तकरीबन सभी राज्यों ने कोरोना टैक्स के नाम पर शराब के दामों में इजाफा किया है।