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    Maulana Saad Tablighi Jamaat: मौलाना साद मामले की जांच NIA को सौंपने की याचिका पर सुनवाई टली

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Thu, 28 May 2020 01:20 PM (IST)

    Maulana Saad Tablighi Jamaat मुहम्मद साद मामले के खिलाफ चल रही जांच तत्काल राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई टल गई ...और पढ़ें

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    Maulana Saad Tablighi Jamaat: मौलाना साद मामले की जांच NIA को सौंपने की याचिका पर सुनवाई टली

    नई दिल्ली, एजेंसी। Maulana Saad Tablighi Jamaat: दक्षिण दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात प्रमुख मौलाना मुहम्मद साद मामले के खिलाफ चल रही जांच तत्काल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency) को सौंपने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई टल गई है। इस याचिका पर अब 18 जून को सुनवाई होगी। पिछली सुनवाई में दिल्ली पुलिस ने जांच एनआइए को सौंपे जाने की मांग का पुरजोर विरोध किया था।

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    पिछले सुनवाई में दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति एजे भंबानी की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से याचिका का समर्थन करने वाले अदालत के किसी फैसले को पेश करने का आदेश दिया था।

    वहीं, दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए स्टैंडिंग काउंसल राहुल मेहरा ने पक्ष रखते हुए कहा था कि दिल्ली पुलिस सही तरीके से मामले की जांच कर रही है। ऐसे में याचिकाकर्ता को इस तरह की याचिका दाखिल करने का कोई आधार ही नहीं है।

    दरअसल हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें कहा गया है कि मौलाना साद के खिलाफ चल रही जांच को जल्द से जल्द एनआइए को सौंपी जाए। मुम्बई के एक अधिवक्ता ने याचिका दायर कर जांच एनआइए को देने का केंद्र व दिल्ली सरकार के साथ दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग की है। अधिवक्ता यश चतुर्वेदी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने 31 मार्च को सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज था। प्रवर्तन निदेशालय ने भी साद के खिलाफ मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया है।

    याचिका में आरोप लगाया गया कि साद द्वारा किये गए गंभीर कृत्य के बावजूद भी निर्धारित समयसीमा के भीतर गिरफ्तार करने में असफल रही है। इतना ही नहीं क्राइम ब्रांच मौलाना साद को तलाश नहीं सकी, जबकि साद ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर साक्षात्कार भी दिया। याचिका में कहा गया कि यह संभव नहीं है कि साद खुद को इतने लंबे समय तक देश की राजधानी में छिपा सके।