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    सिख विरोधी दंगा मामले में नया मोड़, कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को लिखित दलीलें पेश करने का दिया आदेश

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 06:48 AM (IST)

    राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में अभियोजन पक्ष को लिखित दलीलें दाखिल करने का आदेश दिया है। यह मामला पूर्व सांसद सज्जन कुमार से जुड़ा है, जिन पर जनकपुरी और विकासपुरी में एफआईआर दर्ज हैं। अदालत ने अगली सुनवाई 27 नवंबर और 4 दिसंबर को तय की है। सज्जन कुमार पर हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया है, लेकिन अन्य आरोप अभी भी लगे हुए हैं।

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    राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में अभियोजन पक्ष को लिखित दलीलें दाखिल करने का आदेश दिया है।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राउज़ एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में अभियोजन पक्ष को लिखित दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह मामला पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार से जुड़ा है और जनकपुरी तथा विकासपुरी थानों में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है।

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    विशेष न्यायाधीश दिग्विजय सिंह ने अगली सुनवाई के लिए 27 नवंबर और 4 दिसंबर की तारीख तय की है। अभियोजन पक्ष की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) मनीष रावत और सज्जन कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल कुमार शर्मा पेश हुए। दंगा पीड़ितों की ओर से अधिवक्ता सुप्रीत कौर पेश हुईं।

    जनकपुरी पुलिस स्टेशन का मामला 1 नवंबर, 1984 को दो सिखों, सोहन सिंह और उनके दामाद अवतार सिंह की हत्या से संबंधित है, जबकि विकासपुरी पुलिस स्टेशन का मामला 2 नवंबर, 1984 को गुरचरण सिंह को जलाकर मार डालने से संबंधित है।

    इससे पहले, 7 जुलाई को अपने बयान में, सज्जन कुमार ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे और उन्हें झूठा फंसाया गया है।

    23 अगस्त, 2023 को अदालत ने सज्जन कुमार को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) से बरी कर दिया। हालाँकि, उनके खिलाफ धारा 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से दंगा), 149 (गैरकानूनी जमावड़ा), 153 (समूहों के बीच दुश्मनी बढ़ाना), 295 (धार्मिक स्थल को अपवित्र करना), 307 (हत्या का प्रयास), 308 (गंभीर चोट पहुँचाने का प्रयास), 323 (हमला), 395 (डकैती) और 426 (शरारत) के तहत आरोप तय किए गए थे।

    अदालत ने यह भी माना कि सज्जन कुमार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 107 (उकसाने) और 114 (उकसाने) के तहत भी आरोप लगाया जा सकता है, क्योंकि आरोपी अपराध के समय घटनास्थल पर मौजूद था।