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    कसा शिकंजा : डीडीए के इंजीनियर अब नहीं खेल पाएंगे ‘फुटबॉल’

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Fri, 01 Nov 2019 08:53 AM (IST)

    डीडीए के इंजीनियर काम को किसी और के सिर मढ़कर लटका नहीं पाएंगे। उन्हें जो क्षेत्र दिया जाएगा वहां डीडीए के क्षेत्रधिकार में आने वाला हर काम निपटाना होगा।

    कसा शिकंजा : डीडीए के इंजीनियर अब नहीं खेल पाएंगे ‘फुटबॉल’

    नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली विकास प्राधिकरण ( Delhi Development Authority) के इंजीनियर काम को किसी और के सिर मढ़कर लटका नहीं पाएंगे। उन्हें जो क्षेत्र दिया जाएगा, वहां डीडीए के क्षेत्रधिकार में आने वाला हर काम निपटाना होगा। केवल उद्यान विभाग की जिम्मेदारी इसमें शामिल नहीं होगी। काम के प्रति जवाबदेही बढ़ाने के लिए ही डीडीए उपाध्यक्ष ने इंजीनियरिंग विभाग का पुनर्गठन किया है।

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    डीडीए में छोटे बड़े मिलाकर करीब एक हजार इंजीनियर हैं। सभी दिल्ली के क्षेत्रीय कार्यालयों में तैनात हैं और सभी को अलग-अलग प्रकार की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन समस्या यह है कि यह अपने काम को फुटबॉल की तरह एक दूसरे की तरफ डालते रहते हैं। कोई भी मामला आता है तो उसे दूसरे इंजीनियर के कार्यक्षेत्र का हिस्सा बताकर खुद बच निकलते हैं। नतीजतन शिकायतें अनसुलझी रह जाती हैं और प्रोजेक्ट लटक जाते हैं। इतना ही नहीं, इस रस्साकशी में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगातार लगते रहे हैं। इन्हीं मामलों का निदान करने के लिए डीडीए उपाध्यक्ष ने इंजीनियरिंग विभाग का पुनर्गठन किया है।

    आइएनए स्थित मुख्यालय से इतर डीडीए को अब पांच क्षेत्रीय कार्यालयों में बांट दिया गया है - दक्षिणी, पूर्वी, उत्तरी, द्वारका और रोहिणी। क्षेत्रीय कार्यालयों के प्रभारी मुख्य अभियंता होंगे। इनके अधीन 65 डिविजन रखे गए हैं। प्रत्येक डिविजन का प्रभारी कार्यकारी अभियंता (एक्सईएन) को बनाया गया है। यह एक्सईन अब किसी जिला उपायुक्त की तरह काम करेंगे। मतलब यह कि वे अपने डिविजन में डीडीए से संबद्ध हर मामले को देखेंगे। चाहे वह बिल्डिंग का हो, सिविल का हो, पर्यावरण का हो, भूमि प्रबंधन का हो अथवा 50 करोड़ से कम का कोई भी प्रोजेक्ट हो। केवल एक उद्यान विभाग ही अलग रहेगा। 50 करोड़ से ऊपर के प्रोजेक्ट देखने के लिए दो मुख्य अभियंताओं को जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे प्रोजेक्टों से जुड़ी तमाम समस्याओं को सुलझाने का दायित्व इन्हीं का होगा। डीडीए अधिकारियों के मुताबिक फिलहाल इस नई व्यवस्था का विरोध हो रहा है, लेकिन तब भी इसे लागू किया जा रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि इससे इंजीनियरों में जिम्मेदारी की भावना बढ़ेगी।

    तरुण कपूर (उपाध्यक्ष, डीडीए) का कहना है कि इंजीनियरिंग विभाग का पुनर्गठन कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने के लिए किया गया है। जवाबदेही बहुत जरूरी है। इसीलिए इसे लागू करने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही इस नई व्यवस्था के सकारात्मक परिणाम भी दिखाई देने लगेंगे।

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