जानें एम्स में सरोगेट मदर की मौत का है क्या रहस्य, गर्भ में थे जुड़वां बच्चे
एम्स में इलाज के दौरान 42 वर्षीय एक ऐसी सरोगेट मदर की मौत का मामला सामने आया है जिसके गर्भ में जुड़वां बच्चे पल रहे थे।
नई दिल्ली, जेएनएन। एम्स में इलाज के दौरान 42 वर्षीय एक ऐसी सरोगेट मदर की मौत का मामला सामने आया है, जिसके गर्भ में जुड़वां बच्चे पल रहे थे। इस घटना से व्यावसायिक सरोगेसी पर एक बार फिर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। एम्स के फॉरेंसिक विभाग के डॉक्टरों ने इस मामले को आरएफपी इंडियन जर्नल ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन में प्रकाशित किया है। साथ ही सरोगेसी को नियंत्रित करने के लिए सख्त कानून बनाने की वकालत की है।
सरोगेट मदर को यह थी बीमारी
दरअसल, उस विधवा महिला को निजी आइवीएफ सेंटर से एम्स रेफर किया गया था। आर्थिक फायदे के लिए उन्होंने सरोगेसी से गर्भधारण किया था और उन्हें 17 सप्ताह हो चुका था। उन्हें पहले पहले टीबी व हाइड्रोसेफेलस की बीमारी थी। इसके अलावा वह मानसिक अवसाद से भी पीड़ित थीं। सरोगेसी से पहले उन्होंने अपनी पुरानी बीमारी के बारे में डॉक्टरों को नहीं बताया था। डॉक्टरों के अनुसार, उन्होंने अधिक मात्र में अवसाद की दवा ली थी। इस वजह से डॉक्टरों ने गर्भपात कराने की सलाह दी, लेकिन गर्भपात के पहले ही हालत ज्यादा खराब हो गई। इस वजह से उन्हें तुरंत इमरजेंसी में स्थानांतरित किया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
सरोगेसी से पहले नहीं हुआ हेल्थ चेकअप
डॉक्टर कहते हैं कि सरोगेसी से पहले कई तरह की स्वास्थ्य जांच जरूरी है। इसके अलावा पुरानी बीमारियों का विवरण लिया जाना भी अनिवार्य है। परिवार में किसी को अनुवांशिक बीमारी हो तो यह भी बताना जरूरी है। ताकि बच्चे को अनुवांशिक बीमारी से बचाया जा सके। आरएफपी इंडियन जर्नल ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के मौजूदा दिशा निर्देश के अनुसार, वह सरोगेट मदर नहीं बन सकती थी।
क्या है सरोगेसी
सरोगेसी एक ऐसी व्यवस्था है जिसके तहत सरोगेट मदर किसी दूसरे दंपती के लिए गर्भधारण करती है। सरोगेसी पर अलग-अलग देशों में अलग-अलग राय है। चीन, जापान, जर्मनी, इटली सहित कई देशों में हर तरह के सरोगेसी पर रोक है। वहीं अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया सहित कुछ देशों में सिर्फ व्यावसायिक सरोगेसी प्रतिबंधित है। भारत में भी सरोगेसी बिल के तहत व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध का प्रावधान है। इसके तहत 25 से 35 वर्ष की महिलाएं ही सरोगेट मदर बन सकती हैं। हाल ही में लोकसभा में यह बिल पास हुआ है।
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