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    मप्र सरकार की बड़ी लापरवाही, किसानों के पैसे पहुंचे दिल्ली के व्यापारियों के खाते में

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Wed, 31 Jul 2019 12:33 PM (IST)

    मध्य प्रदेश सरकार की अजब लापरवाही सामने आई है। धार जिले के किसानों का भुगतान जेआइटी से किया लेकिन पैसा उनके खाते में न आकर दिल्ली के व्यापारियों के खाते में पहुंच गया है।

    मप्र सरकार की बड़ी लापरवाही, किसानों के पैसे पहुंचे दिल्ली के व्यापारियों के खाते में

    नई दिल्ली/भोपाल [धनंजय प्रताप सिंह]। मध्य प्रदेश में फसल बेचने के महीनों बाद भी किसानों के भुगतान का मामला सुलझ नहीं पा रहा है। सरकार ने जल्द भुगतान के लिए जो सॉफ्टवेयर जस्ट इन टाइम (जेआइटी) बनाया, वही कई जिलों के किसानों के संकट का सबब बन गया। धार जिले के किसानों का भुगतान जेआइटी से किया गया, लेकिन पैसा उनके खाते में न आकर दिल्ली के व्यापारियों के खाते में पहुंच गया। जब किसानों ने इसकी जानकारी दी तो प्रशासन ने इसके बाद भी मदद नहीं की।

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    एक कंप्यूटर ऑपरेटर ने पता लगाया कि जिन खातों में पैसा गया, वे दिल्ली के हैं और उन खातों से रकम निकाली भी जा चुकी है। इसके बाद संबंधित बैंक की ब्रांच से खातेदारों का नंबर पता किया और उनसे पैसा वापस देने को कहा। इसके बाद भी कुछ ही लोगों ने पैसा लौटाया। इस घटनाक्रम में खास बात यह है कि सरकार, राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआइसी) और संबंधित खरीदी एजेंसी ने एक भी किसान को पैसा दिलाने का अपनी ओर से कोई प्रयास ही नहीं किया।

    चांदनी चौक चला गया भुगतान

    रामेश्वर पाटीदार नामक किसान का खाता नर्मदा-झाबुआ ग्रामीण बैंक में है। जेआइटी ने पाटीदार का भुगतान नई दिल्ली की बैंकऑफ इंडिया की चांदनी चौक शाखा की ग्राहक दीपिका के खाते में भेज दिया। इसी तरह सुंदर बाई नाम की महिला कृषक की रकम बैंक ऑफ इंडिया नई दिल्ली की वसंत विहार शाखा के ग्राहक सागर महतो, गणोश की राशि वसंत विहार निवासी गायत्री देवी के खाते में जमा हो गई। वहीं, दयाराम का खाता धार जिले की कुक्षी शाखा में है, लेकिन जेआइटी ने इसकी रकम चांदनी चौक की शशिबाला के खाते में भेज दी। शाहिद खान नामक किसान ने जो फसल मार्च-अप्रैल में बेची थी, उसका पैसा ज्ञानदेरा विबुती के खाते में चला गया।

    कलेक्टर के पत्र के बाद भी किसी ने नहीं ली सुध

    धार कलेक्टर श्रीकांत बनोठ ने राज्य सरकार को पत्र भेजकर कहा कि समर्थन मूल्य पर जिन किसानों ने गेहूं बेचा था, उनके खाते में पैसा नहीं आया, जबकि जेआइटी पर किसानों को सफल भुगतान दिखा रहा है। उन्होंने आधा दर्जन पत्रों का हवाला भी दिया कि लगातार लिखा-पढ़ी के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।

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