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    भाजपा प्रत्याशियों की नैया पार लगाने को संघ बना खेवैया

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 01 May 2019 06:39 AM (IST)

    भाजपा प्रत्याशियों की नैया पार लगाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी कमर कस ली है। दिल्ली की सभी सातों संसदीय सीटों पर संघ के जिम्मेदार पदाधिकारियों को कमान सौंपी गई है जिनकी देखरेख में बूथ स्तर पर अभियान चलाया जा है। नए प्रत्याशियों और मुश्किल समझी जा रही सीटों के लिए अलग से रणनीति तैयार की जा रही है। जरूरत के अनुसार दूसरे राज्यों के स्वयंसेवकों को भी चुनाव प्रचार में लगाया जाएगा।

    भाजपा प्रत्याशियों की नैया पार लगाने को संघ बना खेवैया

    संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली

    भाजपा प्रत्याशियों की नैया पार लगाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी कमर कस ली है। दिल्ली की सभी सातों संसदीय सीटों पर संघ के जिम्मेदार पदाधिकारियों को कमान सौंपी गई है जिनकी देखरेख में बूथ स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। नए प्रत्याशियों और मुश्किल समझी जा रही सीटों के लिए अलग से रणनीति तैयार की जा रही है। जरूरत के अनुसार दूसरे राज्यों के स्वयंसेवकों को भी चुनाव प्रचार में लगाया जाएगा। नए प्रत्याशियों का नहीं हो सका है कार्यकर्ताओं से जुड़ाव

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    भाजपा ने दिल्ली में अपने पांच सांसदों को फिर से चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि पूर्वी दिल्ली के सांसद महेश गिरी की जगह पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर को टिकट दिया गया है। इसी तरह से उत्तर पश्चिमी सीट पर सांसद डॉ. उदित राज का टिकट काटकर पंजाबी गायक हंसराज हंस को चुनाव लड़ाया जा रहा है। दोनों ही प्रत्याशी भाजपा के लिए नए हैं। गंभीर दिल्ली के रहने वाले तो हैं, लेकिन सियासत में इसी चुनाव से कदम रख रहे हैं। दूसरी ओर हंसराज हंस पंजाब में शिरोमणि अकाली दल व कांग्रेस की ओर से सियासी पारी तो खेल चुके हैं, लेकिन दिल्ली के लिए नए हैं।

    उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पर है विशेष नजर

    नए प्रत्याशियों वाली सीटों के साथ ही कई अन्य क्षेत्रों में कांग्रेस व आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही है। सांसदों को लेकर लोगों व कार्यकर्ताओं में नाराजगी से भी उनकी राह मुश्किल हो रही है, जिससे भाजपा के साथ ही संघ की चिता भी बढ़ गई है। उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पार्टी की प्रतिष्ठा से जुड़ गई है, क्योंकि यहां से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं। इन्हें घेरने के लिए कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को तो आप ने दिलीप पांडेय को मैदान में उतारा है। इन दोनों से जहां तिवारी को कड़ी टक्कर मिल रही है वहीं, पूर्व विधायक मोहन सिंह बिष्ट व नरेश गौड़, भाजपा नेता जय भगवान गोयल जैसे नेताओं की नाराजगी से भी नुकसान हो रहा है। नई दिल्ली सीट पर भी कई वरिष्ठ कार्यकर्ता नाराज बताए जाते हैं। संघ ने इस स्थिति को दूर कर सभी वरिष्ठ नेताओं को चुनाव प्रचार में लगाने की हिदायत दी है। बताते हैं कि भाजपा के नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश भी शुरू हो गई है। भाजपा व संघ के नेता उनसे मिलकर उनकी नाराजगी दूर कर रहे हैं। लोकसभा क्षेत्र से लेकर बूथ स्तर तक संभाल रहे जिम्मेदारी

    चुनावी माहौल को भाजपा के पक्ष में करने के लिए संघ के साथ ही इससे जुड़े हुए अन्य संगठनों जैसे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), विश्व हिदू परिषद, स्वदेशी जागरण मंच आदि के कार्यकर्ता पसीना बहा रहे हैं। प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में संघ का एक विभाग स्तरीय पदाधिकारी की तैनाती की गई है जो चुनाव प्रचार संयोजन का काम देख रहे हैं। इसी तरह से जिला स्तर पर चुनाव प्रभारी व सह प्रभारी बनाए गए हैं। इनके नीचे वार्ड समन्वय और बूथ स्तरीय जनसंपर्क टोली गठित की गई है जो नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियां घर-घर पहुंचाकर भाजपा के समर्थन की अपील करेंगे। इन टोलियों में महिला व युवाओं के साथ डॉक्टर, वकील व शिक्षक जैसे पेशेवर को भी शामिल किया गया है। पूरे प्रचार अभियान पर भाजपा के सगंठन महामंत्री निगरानी रख रहे हैं।

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