साहबों से कह दो, नादान न हमको समझें
राजौरी गार्डन इलाके का सियासी मिजाज पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में सबसे अलग रहा है। पानी बिजली सड़क की समस्या यहां पर न के बराबर है लेकिन दो समस्याए ...और पढ़ें

भगवान झा, पश्चिमी दिल्ली
राजौरी गार्डन इलाके का सियासी मिजाज पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में सबसे अलग रहा है। पानी, बिजली, सड़क की समस्या यहां पर न के बराबर है, लेकिन दो समस्याएं यहां के लिए नासूर बन चुकी है। निगम चुनाव से पहले आधे-अधूरे अंडरग्राउंड पार्किग का शुभारंभ नेताओं द्वारा कर दिया गया था, जिसका लाभ बाद में लोगों को मिला। वहीं राजौरी गार्डन बाजार में निगम की ओर से बहुमंजिला पार्किग बनाने की कवायद शुरू हुई थी। लोगों को लगा था कि पार्किग की समस्या खत्म हो जाएगी, लेकिन यह ख्वाब अभी तक ख्वाब ही बना हुआ है। वर्तमान में कोर्ट का स्टे लगने के बाद स्थिति जस की तस बनी हुई है और सड़क किनारे गाड़ियों का ठहराव बदस्तूर जारी है। दूसरी सबसे बड़ी समस्या यहां पर उस समय देखने को मिली जब सीलिग ने कई लोगों की दुकानों के द्वार बंद कर दिए। सभी पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप में लगी रही, लेकिन इसके समाधान को लेकर कोई आगे नहीं आई। यह इलाका किसी एक राजनीतिक पार्टी का गढ़ नहीं रहा है। वर्ष 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां की जनता ने आम आदमी पार्टी का साथ देकर जरनैल सिंह को विधानसभा में भेजा था। पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान जरनैल सिंह यहां से इस्तीफा देकर पंजाब पहुंच गए थे। इसके बाद हुए उपचुनाव में भाजपा व शिरोमणि अकाली दल के संयुक्त उम्मीदवार मनजिदर सिंह सिरसा ने जीत हासिल की थी। ऐसे में किसी एक राजनीतिक पार्टी की अंधभक्ति यहां की फिजाओं में नहीं रही है। इलाके में मूलभूत समस्याएं कम हैं, इस कारण यहां पर राष्ट्रीय मुद्दे चर्चा के केंद्र में रहते हैं। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही कहीं पूर्ण राज्य के दर्जे की वकालत करने वाली आम आदमी पार्टी की चर्चा होती दिखती है, तो वहीं भाजपा के पिछले पांच वर्षो के कार्यकाल की समीक्षा भी की जा रही है। साथ ही कांग्रेस की ओर से भाजपा पर लगाए जा रहे आरोप व घोषणाओं की जांच में भी लोग जुटे हुए हैं, जिससे कि चुनाव से पहले वे किसी निष्कर्ष पर पहुंचे और अपने पसंदीदा प्रत्याशी को मत दे सकें।
चुनाव की चर्चा होते ही यहां के लोगों का मिजाज एकदम बदल जाता है। यहां पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन का निवास है तो वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता सुभाष आर्य भी इसी इलाके से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में सियासी गणित भी दोनों के बीच बंटा हुआ है। लोग बताते हैं कि राजनीतिक पार्टियां अब वोट बैंक की राजनीति बंद करे। सिर्फ विकास के मुद्दे पर ही बात हो तो देश का चहुंमुखी विकास संभव हो सकेगा। चुनाव से पहले पार्टियां हर इलाके के मुद्दे पर फोकस करे और उसके निस्तारण को लेकर अपनी कार्ययोजना जनता के सामने पेश करे, तभी जाकर जिस विकास की बात जनता करती है वह हो पाएगा।
राजौरी गार्डन मार्केट में बलराज बताते हैं कि दिल्ली को सुंदर बनाने की बात हर पार्टियां करती नजर आती हैं। लेकिन अतिक्रमण की समस्या के समाधान के लिए आज तक प्रयास नहीं किए गए। सियासत देश के फायदे के लिए हो तो इसमें सभी का कल्याण है, लेकिन अभी के समय में यह सपना सच होता नहीं दिख रहा है। सभी अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में व्यस्त नजर आते हैं।
युवा समर बताते हैं कि, सियासत हमको सच्चाई समझने ही नहीं देती, कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पण। सियासत में हमें जो दिखता है वह होता नहीं है। हम विश्वास करते हैं, लेकिन जीतने के बाद हमारे विश्वास के साथ खेला जाता है। इलाके में एक पार्किग बनाने में निगम को छह वर्ष से ज्यादा का समय लग गया। यह कैसी योजना है। कोई सोच सकता है कि एक पार्किग बनाने में इतना समय लग जाएगा। पांच साल में तो सरकारें बदल जाती हैं और यहां तो एक योजना को अंजाम तक पहुंचाने में कई सरकारें आती हैं कई सरकारें जाती हैं। हमारे देश की व्यवस्था की क्या हालत है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। खैर, लोकतंत्र का महापर्व आ गया है। चर्चाओं का दौर बदस्तूर जारी रहेगा। सियासी सरगर्मी के बीच कई बातें निकलकर सामने आएंगी, लेकिन चर्चा के अंतिम दौर में मुनव्वर राणा की शायरी से बात खत्म करते हुए कहते हैं कि, एक आंसू भी हुकूमत के लिए खतरा है, तुम ने देखा नहीं आंखों का समुंदर होना।

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