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    उम्मीदें 2019: आजादी से पहले से इस संस्‍थान में मां और बच्‍चे ले रहे हैं ज्ञान, करते हैं स्‍वरोजगार

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    Updated: Tue, 01 Jan 2019 06:51 PM (IST)

    तालीम ओ तरक्की के संस्थापक शफीकुर रहमान का मानना था कि शिक्षा को केवल बच्चों को शिक्षित करके आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। शिक्षा को आगे बढ़ाना है तो सभी को पढ़ना होगा।

    उम्मीदें 2019: आजादी से पहले से इस संस्‍थान में मां और बच्‍चे ले रहे हैं ज्ञान, करते हैं स्‍वरोजगार

    नई दिल्ली [निहाल सिंह]। एक संस्थान ऐसा भी है जो आजादी के पहले से देश की महिलाओं को शिक्षित करने का काम करता आ रहा है। बालक माता सेंटर संस्थान पुरानी दिल्ली इलाके में महिलाओं और बच्चों को शिक्षित कर उन्हें आत्म निर्भर बनाने का काम कर रहा है। बालक माता सेंटर का मानना है कि शिक्षा लेने के लिए उम्र की कोई पाबंदी नहीं होती, महिलाएं चाहें तो उम्र के किसी भी पड़ाव पर शिक्षा ग्रहण कर सकती हैं।

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    पुरानी दिल्ली में चलते हैं तीन सेंटर यासमीन परवीन ने बताया कि जामिया मिलिया इस्लामिया में 'तालीम ओ तरक्की' (डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन एंड प्रोग्रेस) कोर्स की शुरुआत की थी। इसके तहत पुरानी दिल्ली इलाके में मटियामहल, कसाबपुरा और बेरीवाला बाग में तीन सेंटर चलते हैं। प्रतिवर्ष इन सेंटरों में पांच सौ से छह सौ बच्चे, युवती और गृहणियों को शिक्षा दी जाती है। यहां से हर साल शिक्षा ग्रहण करने के बाद लोग आत्मनिर्भर हो रहे हैं। यासमीन बताती है कि तालीम ओ तरक्की की स्थापना वर्ष 1938 में हुई थी। इसका उद्देश्य शिक्षा को आगे बढ़ाना था।

    'तालीम ओ तरक्की' के संस्थापक शफीकुर रहमान का मानना था कि शिक्षा को केवल बच्चों को शिक्षित करके आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। शिक्षा को आगे बढ़ाना है तो सभी की शैक्षणिक आवश्यकताओं को पूरा करना होगा। जो भी शिक्षित नहीं हैं उसे शिक्षित करना होगा। साथ ही इसका उद्देश्य एक छत के नीचे मां और बच्चे दोनों को शिक्षा देना है।

    इसमें नर्सरी शिक्षा के साथ, प्राइमरी, कटिंग और टेलरिंग की शिक्षा दी जाती है। यासमीन बताती हैं कि समाज को शिक्षित करने के साथ उन्हें स्वस्थ बनाए रखने का भी काम बालक माता सेंटर्स करता है। इसके लिए यहा पर समय-समय पर स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किए जाते हैं। बालक माता सेंटर में पोस्टर प्रतियोगिता से लेकर भाषण देना, नृत्य करना, म्यूजिकल चेयर, बेहतर खाना बनाना जैसी प्रतियोगिताएं होती हैं। इस तरह की प्रतियोगिताएं बच्चों और महिलाओं के कौशल विकास के लिए सहायक होती हैं।

    इसके अलावा देश और समाज के विभिन्न मुद्दों पर वाद विवाद भी होता है। इसके अलावा हर वर्ष जश्न ए-ख्वाहतीन जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसमें बच्चों व महिलाओं को सम्मानित भी किया जाता है। इतना ही नहीं सभी को वार्षिक पिकनिक पर भी दिल्ली के पर्यटन स्थलों की सैर कराई जाती है।