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    सड़क सुरक्षाः घर खरीदने के लिया जमा रकम से बांट रहे हेलमेट, दोस्त की मौत से लिया सबक

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Mon, 01 Oct 2018 02:54 PM (IST)

    जीवन रक्षक टीके के रूप में बांटते हैं हेलमेट। वर्ष 2014 में सड़क दुर्घटना में हो गई थी दोस्त की मौत। उसके बाद से कई राज्यों में चला चुके हैं अभियान। ...और पढ़ें

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    सड़क सुरक्षाः घर खरीदने के लिया जमा रकम से बांट रहे हेलमेट, दोस्त की मौत से लिया सबक

    ग्रेटर नोएडा (मनीष तिवारी)। दोस्ती खून का रिश्ता न सही, लेकिन कई बार उससे भी आगे निकल जाती है। सड़क दुर्घटना में दोस्त की मौत के गम ने दिल में ऐसी चोट की कि राघवेंद्र कुमार बिना हेलमेट मोटर साइकिल चलाने वालों को जागरूक करने में जुट गए। तीन वर्ष से चला रहे जागरुकता अभियान के तहत बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, फरीदाबाद सहित अन्य स्थानों पर चलाए गए अभियान में लगभग दस हजार हेलमेट बांट चुके हैं।

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    इस जिद में जेब से लगभग आठ लाख रुपये खर्च कर चुके हैं। मूलरुप से बिहार, कैमूर के रहने वाले राघवेंद्र कुमार वर्ष 2009 में ग्रेटर नोएडा पढ़ाई करने के लिए आए थे। एक कॉलेज से बीए एलएलबी की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान हास्टल में रूम पार्टनर कृष्ण कुमार से दोस्ती हुई। कुछ ही दिनों में दोनों के बीच भाई का रिश्ता बन गया। वर्ष 2014 में नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे पर मोटरसाइकिल से जाते वक्त दुर्घटना में कृष्ण कुमार के सिर में चोट लगने से मौत हो गई। घटना के वक्त कृष्ण ने हेलमेट नहीं पहना था।

    दोस्त की आकस्मिक मौत ने राघवेंद्र को झकझोर दिया। कृष्ण अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। दोस्त को खोने के बाद राघवेंद्र ने बिना हेलमेट पहने मोटर साइकिल चलाने वालों को जागरूक करने का निर्णय लिया। पहले अभियान चला जागरूक किया। बाद में अभियान के तहत हेलमेट बांटना शुरू किया। तीन वर्ष की नौकरी के दौरान राघवेंद्र ने जितना पैसा एकत्र किया था उससे हेलेमेट खरीद कर अभियान में बांटना शुरू कर दिया। फ्लैट खरीदने के लिए भी राघवेंद्र ने पैसा जमा किया था। उस पैसे को भी वापस लेकर अभियान में लगा दिया।

    राघवेंद्र के द्वारा हेलमेट को जीवन रक्षक सुरक्षा टीके के रूप में बांटा जाता है। राघवेंद्र बताते हैं विभिन्न स्थानों पर चलाए गए अभियान से अब तक 250 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। वह बताते हैं कि मेरे कार्य से परिवार के लोग सहमत नहीं हैं। बावजूद मेरी लगन जारी है। अभियान से कुछ की जान भी बचा सका तो जीवन सफल होगा। अभियान से लोगों में जागरुकता आई है। साथ के लोग जन्मदिन व शादी समारोह में उपहार के रूप में हेलमेट देने लगे हैं।

    विद्यार्थियों में करते हैं किताबों का वितरण

    राघवेंद्र बताते हैं दोस्त की मौत के बाद उसके घर जाना हुआ। दोस्त के घर में रखी कक्षा दस कि किताबों को एक गरीब बच्चे को दे दिया। किताबों की मदद से उस बच्चे ने परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया। जिसके बाद लोगों से पुरानी किताबों को एकत्र कर जरूरत मंदों को बांटने का अभियान शुरू कर दिया। अभियान के तहत अब तक हजारों युवाओं को किताब बांट चुके हैं।

    लोगों की बनाते हैं लिस्ट

    अभियान के तहत जिन लोगों को हेलमेट बांटा जाता है राघवेंद्र लोगों का नाम, मोबाइल नंबर, मोटर साइकिल का नंबर नोट करते हैं। सोशल साइट्स के माध्यम से लोग उनसे जुड़े हैं। काफी लोग यह बताते हैं कि उनके द्वारा दिया गया हेलमेट लगाए होने के कारण दुर्घटना में सिर में चोट नहीं लगी।