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    AIIMS के डॉक्टरों ने ढूंढ़ निकाला 'इलाज', आप भी दे सकते हैं बुढ़ापे को मात

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    Updated: Mon, 01 Oct 2018 08:37 AM (IST)

    शोध में यह बात सामने आई है कि नॉर्डिक वॉक के अभ्यास व भरपूर पोषण के लिए पूरक पोषाहार का इस्तेमाल कर लंबे समय तक बुढ़ापे को मात दिया जा सकता है। ...और पढ़ें

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    AIIMS के डॉक्टरों ने ढूंढ़ निकाला 'इलाज', आप भी दे सकते हैं बुढ़ापे को मात

    नई दिल्ली (रणविजय सिंह)। बुढ़ापे की दहलीज पर पहुंचते ही शरीर कमजोर होने लगता है और उम्र बढ़ने के साथ चलना-फिरना कम हो जाता है। बुजुर्गावस्था की यही सबसे बड़ी परेशानी है। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों द्वारा किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि नॉर्डिक वॉक के अभ्यास व भरपूर पोषण के लिए पूरक पोषाहार का इस्तेमाल कर लंबे समय तक बुढ़ापे को मात दिया जा सकता है।

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    एम्स के डॉक्टरों का यह शोध अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल (बीएमजे जेरियाट्रिक) में प्रकाशित हुआ है। एम्स के जेरियाट्रिक विभाग के डॉक्टरों ने 60 वर्ष से अधिक उम्र के 66 लोगों पर यह शोध किया है। इन बुजुर्गों को ए, बी व सी तीन वर्गों में विभाजित किया गया। सभी वर्गों में 22-22 बुजुर्ग शामिल किए गए।

    वर्ग ए में शामिल बुजुर्गों की औसत उम्र 75.7 वर्ष, वर्ग बी के बुजुर्गों की औसत उम्र 75.68 व वर्ग सी के बुजुर्गों की औसत उम्र 77.4 वर्ष थी। ये सभी एम्स की ओपीडी में विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए पहुंचे थे। इनमें से 45.45 फीसद बुजुर्ग कुपोषण से पीड़ित थे।

    इसके अलावा 43.94 फीसद अन्य बुजुर्गों में भी पोषण स्तर बहुत अच्छा नहीं था। शारीरिक रूप से कमजोर होने के कारण इनमें से ज्यादातर बुजुर्ग तेजी से नहीं चल पाते थे। वे लड़खड़ाते हुए कदमों से चल पा रहे रहे थे। उन्हें संतुलन बनाने में भी परेशानी हो रही थी। अध्ययन के दौरान वर्ग ए में शामिल बुजुर्गों को 12 सप्ताह तक 36 बार नॉर्डिक वॉक का प्रशिक्षण दिया गया।

    सप्ताह में तीन बार यह प्रशिक्षण दिया गया और हर बार एक घंटे तक उसका अभ्यास कराया गया। नॉर्डिक वॉक में दो छड़ियों के सहारे चलना होता है। वर्ग बी के बुजुर्गों को सिर्फ पूरक पोषाहार दिया गया, जबकि वर्ग सी के बुजुर्गो को दोनों चीजें उपलब्ध कराई गई।

    एम्स के जेरियाट्रिक विभाग के विशेषज्ञ डॉ. प्रसून चटर्जी ने कहा कि शोध में पाया गया कि जो लोग दो छड़ियों के सहारे चलने का अभ्यास कर रहे थे और जो लोग इस अभ्यास के साथ-साथ पूरक पोषाहार ले रहे थे उनके लड़खड़ाते कदम तेजी से आगे बढ़ने लगे।

    सी वर्ग (नॉर्डिक वॉक व पूरक पोषाहार लेने वाले) के बुजुर्गों की छड़ी पर पकड़ भी मजबूत हो गई। इसका मतलब यह हुआ कि मांसपेशियों में मजबूती आती है। अध्ययन में शामिल 18.18 फीसद बुजुर्गों की निर्बलता दूर हो गई। जबकि सी वर्ग के 27 फीसद बुजुर्गों में यह समस्या दूर हो गई। डॉक्टर कहते हैं कि यदि बुजुर्गों को लंबे समय तक नॉर्डिक वॉक कराया जाए व साथ में प्रोटीन युक्त पूरक पोषाहार दिया जाए तो परिणाम और बेहतर हो सकते हैं।

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