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    दिल्ली सरकार ने किराये पर बसें लेने के प्रस्ताव को पलटा, भाजपा ने लगाया घोटाले का आरोप

    By Edited By:
    Updated: Sat, 01 Sep 2018 10:38 PM (IST)

    विजेंद्र गुप्ता का आरोप है कि 27 अगस्त को बैठक हुई, लेकिन उसका एजेंडा बदल दिया गया। 24 अगस्त के किराये पर बसें लेने के प्रस्ताव की जगह सह-स्वामित्व वा ...और पढ़ें

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    दिल्ली सरकार ने किराये पर बसें लेने के प्रस्ताव को पलटा, भाजपा ने लगाया घोटाले का आरोप

    नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। दिल्ली सरकार ने आनन-फानन में डीटीसी बोर्ड के एक हजार वातानुकूलित लो फ्लोर सीएनजी बसें किराये पर लेने के प्रस्ताव को पलट दिया है। इसकी जगह अब सरकार प्राइवेट ऑपरेटर के साथ मिलकर बसें खरीदेगी। सरकार ने इसके लिए प्रस्ताव लाकर इसे डीटीसी बोर्ड की बैठक बुलाकर मंजूरी दे दी है। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने इस मामले में एक नये घोटाले का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से रातों रात परियोजना के मॉडल को बदल दिया गया है। इससे इसमें भ्रष्टाचार की बू आ रही है।

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    किया गया था विरोध 

    गौरतलब है कि कुछ समय पहले दिल्ली सरकार ने एक हजार वातानुकूलित लो फ्लोर सीएनजी बसें किराये पर लेने का निर्णय लिया था। यह कार्य एक निजी कंपनी को देने की योजना थी। इस योजना का परिवहन सचिव व आयुक्त वर्षा जोशी ने विरोध किया था, इस कारण उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। उसके बाद डीटीसी बोर्ड ने 24 अगस्त को एक बैठक बुलाई थी, जिसमें इन बसों को किराये पर लेने का प्रस्ताव दिया गया था। बैठक सुबह साढ़े 11 बजे होनी थी, लेकिन अचानक स्थगित कर दी गई। कहा गया कि 27 अगस्त को इसी मुद्दे पर फिर बैठक होगी।

    बदल दिया गया एजेंडा

    विजेंद्र गुप्ता का आरोप है कि 27 अगस्त को बैठक हुई, लेकिन उसका एजेंडा बदल दिया गया। 24 अगस्त के किराये पर बसें लेने के प्रस्ताव की जगह सह-स्वामित्व वाला नया प्रस्ताव लाया गया और इसे पास करवा दिया गया। इस बैठक में दिल्ली विकास प्राधिकरण, यातायात पुलिस, दिल्ली सरकार के भूमि एवं विकास विभाग से महत्वपूर्ण सदस्य नहीं पहुंच सके। क्योंकि बैठक में पहुंचने के लिए उन्हें समय नहीं दिया गया। जबकि बोर्ड की बैठक के लिए नियम के अनुसार, कम से कम तीन दिन का समय दिया जाता है। यह औचक नीति परिवर्तन प्राइवेट ऑपरेटर को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया।

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    सरकार समीक्षा करे

    गुप्ता ने कहा कि नए प्रस्ताव में डीटीसी बोर्ड द्वारा स्वीकृति दी गई शर्तों के अनुसार बसों का दिल्ली सरकार और प्राइवेट ऑपरेटर के सह-स्वामित्व में चलाने के कारण जो भी वित्तीय हानि होगी, वह सरकार स्वयं वहन करेगी। इसके अलावा सरकार प्राइवेट ऑपरेटर को डीटीसी के वर्तमान व लोक निर्माण विभाग द्वारा नवनिर्माण किए जाने वाले डीटीसी डिपो में बसें खड़ी करने और उनकी मरम्मत आदि करने के लिए स्थान देगी। उन्होंने कहा कि यह भी अजीब बात होगी कि सरकार प्राइवेट बस ऑपरेटर को अपने वर्तमान तथा निर्माणाधीन बस डिपो में स्थान दे। गुप्ता ने मुख्यमंत्री केजरीवाल से मांग की है कि सरकार इस पूरे मामले की पुन: समीक्षा करे।