Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    घर में ही रखता था युवतियों को, गांव वालों को नहीं लगी भनक

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 31 Jul 2018 10:47 PM (IST)

    अर¨वद कुमार द्विवेदी, दक्षिणी दिल्ली दक्षिणी दिल्ली के मैदानगढ़ी गांव स्थित जिस घर से बनारस अपराध

    घर में ही रखता था युवतियों को, गांव वालों को नहीं लगी भनक

    अर¨वद कुमार द्विवेदी, दक्षिणी दिल्ली

    दक्षिणी दिल्ली के मैदानगढ़ी गांव स्थित जिस घर से बनारस अपराध शाखा ने 19 युवतियों को मुक्त कराया है, उसे मुख्य आरोपित राजेंद्र यादव ने एक साल पहले ही करीब एक करोड़ रुपये में खरीदा था। पहले वह इसी गांव में किराए पर रहता था। लोगों से कहता था कि वह टैक्सी चलाता है। यहां यूपी, बिहार, मणिपुर, सिलीगुड़ी से खेप में युवतियां लाई जाती थीं। एक खेप खाड़ी देशों में भेजने के बाद अगली लाई जाती थी। तीन कमरों के इस घर में हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाती थीं जिससे युवतियों को घर से बाहर निकलने की जरूरत नहीं होती थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    खाड़ी देश पहली पसंद : पूछताछ में पता चला है कि ज्यादातर गरीब घरों की युवतियों को एजेंट के जरिये विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देकर लाया जाता है। उनका पासपोर्ट बनवाने के बाद उन्हें सउदी अरब, दुबई, कुवैत, ओमान व बहरीन समेत अन्य खाड़ी देशों में वेश्यावृत्ति के लिए भेजा जाता है। गिरोह अब तक करीब एक हजार युवतियों को विदेश भेज चुका है। 10 दिन तक डेरा डाले थी यूपी पुलिस : बनारस अपराध शाखा के डिप्टी एसपी अभिनव यादव के नेतृत्व में शिवपुर थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर विजय बहादुर ¨सह, एसआई प्रद्युम्न मणि त्रिपाठी, हरि नारायण पटेल, कांस्टेबल राहुल ¨सह, अजय ¨सह व देवाशीष की टीम 10 दिन से मैदानगढ़ी गांव में डेरा डाले थी। पुलिस ने बताया कि सभी युवतियों को पहले बनारस में रखा गया था लेकिन एक युवती ने मामला दर्ज करवाया तो पुलिस सक्रिय हो गई। गिरोह ने पकड़े जाने के डर से सभी युवतियों को ट्रेन से दिल्ली पहुंचाने की योजना बनाई लेकिन पुलिस को इसकी भनक लग गई। इसका अंदाजा होने पर पवन सभी लड़कियों को फ्लाइट से दिल्ली लाया। 68 में 61 पासपोर्ट नेपाल के : आरोपितों से मिले कुल 68 में से 61 पासपोर्ट नेपाल के हैं जबकि 7 भारत के। यूपी पुलिस अब इन पासपोर्ट पर दर्ज नाम-पते पर दबिश देकर अन्य युवतियों से संपर्क कर रही है। पुलिस को आशंका है कि इनमें से कुछ पासपोर्ट फर्जी नाम-पते पर भी हो सकते हैं। पुलिस इस बारे में नेपाल के दूतावास से भी संपर्क कर रही है। डीएसपी अभिनव यादव ने बताया कि यह गिरोह करीब दो साल से दिल्ली, यूपी, हैदराबाद व जयपुर में सक्रिय है। अधिकारी ने बताया कि जिन भी शहरों से खाड़ी देशों के लिए सीधी हवाई सेवा है, वहां से फ्लाइट के टिकट का इंतजाम आरोपित पहले से ही रखते थे ताकि पुलिस की भनक लगने ते ही दूसरे शहर के एयरपोर्ट से लड़कियों की खेप भेज सकें। खुद को सज्जन दिखाता था राजेंद्र : मैदानगढ़ी गांव के आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष महावीर ¨सह डागर ने बताया कि राजेंद्र का व्यवहार देखकर कोई सोच भी नहीं सकता था कि वह इतना शातिर होगा। वह गांव में जिधर से भी निकलता, बड़े-बुजुर्गो व महिलाओं के पैर छूता था। अब पता चला कि वह अपनी करतूत पर पर्दा डालने के लिए ऐसा करता था। एयरपोर्ट से नजदीक ही बनाते हैं अड्डा : एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मानव तस्करी का धंधा करने वाले ज्यादातर आरोपित इंटरनेशनल एयरपोर्ट के आसपास ही अपने ठिकाने बनाते हैं। इससे उन्हें लड़कियों को लाने-ले जाने में आसानी होती है। एयरपोर्ट के आसपास महरौली, मैदानगढ़ी, साकेत, नेब सराय, वसंत कुंज, राजपुर, वसंत विहार, मुनीरका, महिपालपुर आदि क्षेत्र हैं।