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    वोट बैंक की सियासत, दिल्ली में राजनीतिक पार्टियां दे रही हैं बांग्लादेशियों व रोहिंग्या मुस्लिमों को संरक्षण

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Wed, 01 Aug 2018 11:17 AM (IST)

    बांग्लादेशी व रोहिंग्या मुस्लिम भारतीय अर्थव्यवस्था बिगाड़ने के मकसद से नकली नोटों के कारोबार से लेकर ड्रग्स तस्करी व सभी तरह की आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं।

    वोट बैंक की सियासत, दिल्ली में राजनीतिक पार्टियां दे रही हैं बांग्लादेशियों व रोहिंग्या मुस्लिमों को संरक्षण

    नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। गैर भारतीय प्रवासियों का मुद्दा अभी भले ही असम में उठा हो, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में भी अवैध रूप से रह रहे गैर भारतीय प्रवासी एक गंभीर समस्या हैं। दिल्ली-एनसीआर में लाखों की तादात में अवैध रूप से बांग्लादेशी व रोहिंग्या मुस्लिम रह रहे हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था बिगाड़ने के मकसद से नकली नोटों के कारोबार से लेकर ड्रग्स तस्करी व सभी तरह की आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं। सरकारी एजेंसियों की विफलता कहें या राजनेताओं की वोट बैंक की सियासत...। इन घुसपैठियों के पास न केवल भारतीय मतदाता पहचान पत्र है बल्कि राशन कार्ड व आधार कार्ड से लेकर वे तमाम दस्तावेज मौजूद हैं जो उनके स्थानीय नागरिक बताने के लिए काफी हैं।

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    अवैध रूप से रह रहे हैं शरणार्थी

    ये लोग न केवल सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं बल्कि अब तो दिल्ली-एनसीआर में मुस्लिम परिवारों में अपने बच्चों की शादियां भी रचानी शुरू कर दी हैं। जानकारी के मुताबिक दिल्ली में 685 झुग्गी क्लस्टर (बस्ती) हैं, जिनमें करीब तीन लाख झुग्गियां हैं। सभी बस्तियों में आधे से अधिक बांग्लादेशी रहते हैं। अति सुरक्षित इलाके नई दिल्ली हो अथवा पॉश इलाका दक्षिण जिला। इन जगहों पर भी हजारों की संख्या में शरणार्थी अवैध रूप से रह रहे हैं।

    अपराध का ग्राफ बढ़ाने में लगे हैं घुसपैठिये 

    कई साल पूर्व इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (आईडीएसए) की रिपोर्ट में बताया गया था कि देश में दो करोड़ से अधिक बांग्लादेशी भारत में अवैध तरीके से रह रहे हैं। अकेले दिल्ली में लाखों की संख्या में बांग्लादेशी रहते हैं। हत्या, लूट, डकैती एवं चोरी जैसी वारदात से अपराध का ग्राफ बढ़ाने में लगे ये बांग्लादेशी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियां हमेशा से घुसपैठियों के आईएसआई के साथ संबंध होने को लेकर चिंतित रहती हैं।

    सामाजिक ताने-बाने को पहुंचा रहे हैं नुकसान 

    एक आंकड़े के अनुसार दिल्ली में चार लाख से अधिक बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं। दस लाख से अधिक बांग्लादेशी यहां के नागरिक बन चुके हैं। कुकरमुत्ते की तरफ फैले यह घुसपैठिये न सिर्फ अर्थव्यवस्था बल्कि यहां के सामाजिक ताने-बाने को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। पुलिस का मानना है कि आईएसआई के इशारे पर बांग्लादेश सीमा के रास्ते बड़े पैमाने पर घुसपैठ कर रहे हैं। दिल्ली आ जाने पर राजनीतिक पार्टियां उन्हें वोट बैंक के चक्कर में संरक्षण देते हैं। उनके दिल्ली के मतदाता कार्ड व राशन कार्ड बनवा देते हैं।

    एनसीआर तक के सफर में अहम है एजेंट की भूमिका 

    फर्जी दस्तावेजों के साथ घुसपैठिये पहले कोलकाता पहुंचते हैं। वहां से रेलमार्ग से वे दिल्ली के लिए रवाना हो जाते हैं। खास बात यह है कि सीमा पार कराने वाले एजेंट के स्थान पर उनके साथ एक नया एजेंट होता है जिसका काम उन्हें दिल्ली तक पहुंचाना व स्थायी ठिकाना तलाशने में मदद का होता है। एजेंट पहले से रह रहे बांग्लादेशियों के पास उन्हें लेकर आता है।

    नकली मुद्रा व ड्रग्स तस्करी

    खास बात यह है कि बांग्लादेश से आए कुछ लोग अपने साथ नकली मुद्रा भी ले आते हैं। अक्सर ऐसे मामले पकड़े जाते हैं जिसमें पश्चिम बंगाल से नकली नोट दिल्ली लाए गए हैं। यहां आकर पुरुष वर्ग जहां चोरी, लूट आदि काम करता है वहीं उनकी महिलाएं तथा बच्चे ड्रग्स तस्करी का काम करते हैं। इस काम को ये लोग कच्ची कॉलोनी या झुग्गी बस्ती में रहकर अंजाम देते हैं।

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    हवाला के जरिए भेजते हैं लूट का माल

    दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक बांग्लादेशी अपराधियों से पूछताछ में पता चला था कि लूट का माल खपाने के लिए ये लोग हवाला एजेंटों की मदद लेते हैं। बड़ा हाथ लगने पर गिरोह का एक सदस्य तत्काल माल को लेकर राजधानी व एक्सप्रेस सरीखे ट्रेनों से कोलकाता के लिए निकल पड़ता है। वहां मौजूद हवाला एजेंटों की मदद से माल की कीमत बांग्लादेश में बैठे उनके परिजनों तक पहुंच जाती है। यही वजह है कि पकड़े जाने पर बांग्लादेशी अपराधियों से लूट या चोरी का ज्यादा माल बरामद नहीं हो पाता है।

    पुलिस ने की थी पहल 

    2003 में तत्कालीन पुलिस आयुक्त अजय राज शर्मा ने दिल्ली पुलिस के हर जिले के डीसीपी कार्यालय में ही एक-एक बांग्लादेशी सेल का गठन करवा दिया था। वह पहले ऐसे गैर यूटी कैडर के आइपीएस थे जो दिल्ली पुलिस के मुखिया बनाए गए थे। बांग्लादेशी सेल झुग्गियों में जाकर मुखबिरों से पता लगाकर उनकी धर पकड़ करते थे और विदेशी नागरिक पंजीकरण कार्यालय में पेश करने के बाद उन्हें वापस बांग्लादेश भेज देते थे। उस दौरान एक साल में करीब 50 हजार बांग्लादेशियों को वापस बांग्लादेश भेजा गया था।

    बांग्लादेशियों को खूब बढ़ावा मिला

    अब छह साल पूर्व सभी जिले में स्थित बांग्लादेशी सेल को वहां से हटा दिया गया। दिल्ली पुलिस ने बांग्लादेशियों के खिलाफ कार्यवाई करना ही बंद कर दिया, जिससे झुग्गियों में बांग्लादेशियों की संख्या बढ़ती जा रही है। वर्षों पूर्व कांग्रेस की सरकार में बांग्लादेशियों को खूब बढ़ावा मिला। 

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