फिर सुर्खियों में जग्गा और बलिया, सिर से अलग किए गए जुड़वा बच्चों की ये है कहानी
आठ माह पूर्व ये खबरों की सुर्खियों में तब आए जब ओडिसा से चलकर दिल्ली के एम्स में भर्ती हुए। एम्स में चले 21 घंटे के लंबे ऑपरेशन के बाद दोनों को अलग ...और पढ़ें

नई दिल्ली [ जेएनएन ]। आठ माह बाद एक बार फिर ये जुड़वा बच्चे ( जग्गा और बलिया) सुर्खियों में हैं। पांच माह पूर्व एम्स के चिकित्सकों ने इनका सफल ऑपरेशन करके दोनों को अलग किया था। आठ माह पूर्व ये खबरों की सुर्खियों में तब आए जब ओडिसा से चलकर दिल्ली के एम्स में भर्ती हुए। एम्स में चले 21 घंटे के लंबे ऑपरेशन के बाद दोनों को अलग किया।
एम्स में सर्जरी कर एक दूसरे से अलग किए गए सिर से जुड़े जग्गा व बलिया पूरी तरह स्वस्थ हैं। वे ओडिशा के रहने वाले हैं। एम्स ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को दिए जवाब में कहा है कि उन बच्चों को अब आइसीयू की जरूरत नहीं है। राज्य स्तर के किसी भी अस्पताल में जहां पेडियाट्रिक व नर्सिंग केयर की सुविधा है, वहां उनकी देखभाल की जा सकती है। इसलिए उन्हें एम्स से छुट्टी देकर ओडिशा स्थानांतरित करने में खास जोखिम नहीं है।
एम्स ने कहा है कि वैसे भी वे आठ महीने से एम्स में भर्ती हैं। पिछले साल अक्टूबर में 21 घंटे के ऑपरेशन में दोनों बच्चों को अलग किया गया। इसके बाद पांच महीने हो चुके हैं। इस दौरान एम्स के कई विभागों के करीब 35 डॉक्टर उनके इलाज में शामिल रहे। यह देश में सिर से जुड़े बच्चों को सर्जरी से अगल करने का मामला मामला है।
इन बच्चों के इलाज के लिए ओडिशा सरकार ने एम्स को करीब एक करोड़ रुपये की सहायता राशि उपलब्ध कराई थी। जिसमें से एम्स ने करीब 11.8 लाख रुपये इस्तेमाल किया। शेष राशि ओडिशा सरकार को वापस कर दी गई। हालांकि, एम्स ने उन दोनों बच्चों के इलाज पर अपने बजट से करीब 25 लाख रुपये खर्च किया है।
एम्स ने सुप्रीम कोर्ट के वकील राधाकांत त्रिपाठी द्वारा एनएचआरसी में दायर याचिका पर कहा है कि संस्थान में न्यूरो सर्जरी के जनरल वार्ड में दो साल की वेटिंग हैं। वहीं प्राइवेट वार्ड में पांच-छह महीने की वेटिंग हैं। ऐसे में न्यूरो सर्जरी के किसी बेड पर किसी खास मरीज को और ज्यादा समय तक नहीं रखा जा सकता।
वैसे भी जग्गा व बलिया के जीवन को अब बहुत कम जोखिम है। वे लंबे समय से अपने पैतृक स्थान व ओडिशा से दूर हैं। वहां उनकी देखभाल की जा सकती है। एनएचआरसी में दायर याचिका में कहा गया है कि भुवनेश्वर स्थित एम्स में इतनी सुविधा नहीं कि उन दोनों बच्चों की देखभाल हो सके। इसलिए उन्हें और तीन महीने तक दिल्ली एम्स में भर्ती रखने की मांग की गई है।

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