Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सिर्फ 1000 रुपये खर्च कर उगाएं 400 Kg टमाटर, जानें किसने किया कमाल

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Thu, 18 Jan 2018 09:52 AM (IST)

    तकनीक के जरिये टमाटर का पौधा लौकी के पौधे से भी बड़ा होकर लगभग 60 मीटर तक का हो जाता है।

    सिर्फ 1000 रुपये खर्च कर उगाएं 400 Kg टमाटर, जानें किसने किया कमाल

    नोएडा (पंकज मिश्रा)। गाजीपुर जिले के मिर्जापुर गांव निवासी पार्थ खेती में क्रांति लाने के लिए प्रयासरत हैं। पार्थ ने हाइड्रोपोनिक (बिना मिट्टी के खेती) तकनीक विकसित कर टमाटर की खेती कर मिसाल कायम की है। मौजूदा समय में गाजीपुर जिले में लगभग सभी घरों में उनके मॉडल से टमाटर की खेती हो रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पार्थ को वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विवि में पढ़ाई के दौरान इस तकनीक के बारे में पता चला था। उन्होंने बताया कि विवि के हार्टीकल्चर विभाग के प्रोफेसर डॉ. डीआर सिंह व डॉ. पीयूष कांत सिंह ने उन्हें तकनीक के बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि जोधपुर में सेंट्रल एरिड जोन रिसर्च इंस्टीट्यूट (साजरी) में यह तकनीक आई थी। साजरी में यह योजना सफल नहीं हो पाई, लेकिन पार्थ ने इस तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

    राष्ट्रपति पुरस्कार से तीन बार हो चुके हैं सम्मानित

    पार्थ को अब तक तीन बार राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। पहली बार 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें बेस्ट एनसीसी कैडेट ऑफ इंडिया के अवार्ड से सम्मानित किया था। वहीं, दूसरी बार प्रतिभा पाटिल ने स्काउटिंग के लिए 2009 में सम्मानित किया। हाइड्रोपोनिक (बिना मिट्टी के खेती) तकनीक विकसित करने के लिए 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पार्थ को प्रेसिडेंट रोवर अवार्ड से सम्मानित कर चुके हैं।

    यह भी पढ़ेंः इस 'खतरनाक' बीमारी से अगले चार साल के दौरान मर जाएंगे 30 लाख लोग

    गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है नाम

    गाजीपुर से दिल्ली (राजघाट) तक बिना रुके हुए 167 घंटे तक लगातार चलकर पार्थ अपना नाम गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज करा चुके हैं। पार्थ की इस उपलब्धि पर तत्कालीन थलसेना अध्यक्ष जनरल दलवीर सिंह सुहाग ने उन्हें सम्मानित किया था। पार्थ की टीम में कुल दस युवा शामिल थे, जिन्होंने लगातार छह दिन तक यात्रा की थी।

    इस तरह से की जाती है खेती 

    20-20 मीटर के छह पाइप को एक पिलर पर रख दिया जाता है। पिलर के एक तरफ दस फीट का गड्ढा खोदकर उसमें 100 लीटर का टैंक डाला जाता है। टैंक में न्यूट्रियेंट के 16 तत्वों से युक्त पानी मिलाया जाता है। पौधे को पाइप में लगा दिया जाता है, जहां तक पंप की सहायता से पानी पहुंचाया जाता है। पाइप में एक कीप लगा दी जाती है, जिसके जरिये बचे हुए पानी के वापस टैंक तक ले जाया जाता है। पूरी प्रक्रिया इसी तरह चलती रहती है।

    खास बात यह है कि इस तकनीक के जरिये टमाटर का पौधा लौकी के पौधे से भी बड़ा होकर लगभग 60 मीटर तक का हो जाता है। एक हजार रुपये खर्च करके कम से कम चार सौ किलो टमाटर प्राप्त किया जा सकता है।

    यह भी पढ़ेंः देश में जानें कहां पर हैं भगवान के नाम पर सात बाजार और मंदिर सिर्फ एक

    हाइड्रोपोनिक तकनीक पर लिख चुके हैं 18 किताब

    पार्थ अब तक हाइड्रोपोनिक (बिना मिट्टी की खेती) तकनीक पर अठारह किताबों की श्रंखला लिख चुके हैं। खास बात यह है कि सभी किताबों का शीर्षक वेपन अगेंस्ट हंगर (भूख के खिलाफ हथियार) है। शीर्षक का उल्लेख करते हुए पार्थ ने बताया कि आज भी भारत के ग्रामीण इलाकों का गरीब भूखा सोता है। तकनीक को लेकर आत्मविश्वास भरे लहजे में पार्थ ने बताया कि इसका सही तरीके से क्रियान्वयन होने पर देश में खेती के जरिये ही किसानों की आर्थिक समस्या दूर हो जाएगी और अन्नदाता को भूखे नहीं सोना पड़ेगा।

    comedy show banner
    comedy show banner