बवाना आगः 'बारूद' के ढेर पर बैठी है आधी दिल्ली, सामने आई चौंकाने वाली वजह
अवैध निर्माण में चल रही हजारों दुकानों में कभी भी आग लगने की भयावह घटना हो सकती हैं।
नई दिल्ली (ललित कौशिक)। दिल्ली के सबसे व्यस्त इलाकों में शुमार मध्य दिल्ली आग के मुहाने पर बैठी हुई है। संकरी गलियों में अवैध निर्माण में चल रही हजारों दुकानों में कभी भी आग लगने की भयावह घटना हो सकती हैं, लेकिन इसको लेकर कोई भी संबंधित विभाग सक्रिय नहीं है। सब हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं, जबकि आग लगने की छिटपुट घटनाएं यहां होती ही रहती हैं।
बात चाहे चांदनी चौक, जामा मस्जिद, कश्मीरी गेट, मोरी गेट, सदर बाजार, आजाद मार्केट, करोलबाग सहित दूसरे बड़े बाजारों की हो या मध्य दिल्ली के रिहायशी इलाकों की हो, यहां अग्निशमन वाहनों के लिए आग बुझाना किसी चुनौती से कम नहीं है। संकरी गलियों में अवैध निर्माण जोरों पर है। गलियां सिकुड़ गई हैं तो आसमान में लटकते तार का जाल बढ़ता जा रहा है। कुल मिलाकर आधी दिल्ली में ऐसे इलाके हैं, जहां पर आग लगने की स्थिति में माल के साथ जान की ज्यादा क्षति होगी।
पुरानी दिल्ली का इलाका भी खतरनाक
पुरानी दिल्ली की संकरी गलियों में अगर कोई बड़ी आग लगने वाली घटना हो जाए तो पुरानी इमारतें और बिजली के तार के मकड़जाल से बड़ा हादसा होगा। पुराना ढांचा होने के कारण आग फैलती भी जल्द है। सबसे बड़ी परेशानी अग्निशमन वाहनों के पहुंचने को लेकर भी है। संकरी गलियां होने और अतिक्रमण की समस्या से पूरा इलाका जूझ रहा है।
पिछले वर्ष अप्रैल में चांदनी चौक इलाके की एक गली में सराफा व्यापारी की आग बुझाने में दमकलकर्मियों की सांस फूल गई थी। संकरी गली होने के कारण आग बुझाने के लिए लगभग 23 लंबे पाइप प्रयोग करने पड़े थे, जिनकी लंबाई 30 मीटर की थी। अंदर गलियों तक पाइप ले जाना भी मुश्किल होता है।
संकरी गलियों में तारों के जंजाल को दिल्ली हाई कोर्ट भी कई बार कड़े शब्दों में चिंता जाहिर कर चुका है। पुरानी दिल्ली का इलाका लगभग छह से सात किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है।
इस इलाके में आग की घटनाओं से निपटने के लिए पांच अग्निशमन केंद्र हैं, जिसमें पाइवालान, दरियागंज, तेलीवाड़ा, एसपी मुखर्जी मार्ग और जिया रोड केंद्र शामिल है।
औद्योगिक क्षेत्र की आड़ में चल रहीं अवैध गतिविधियां
मुंबई में गत दिनों आग की घटना के बाद अब दिल्ली के बवाना औद्योगिक क्षेत्र में हुए हादसे से लोग सकते में हैं। औद्योगिक क्षेत्र में आग से बचाव के उपाय व परिसर की जांच पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जिस स्थान पर आग लगी है वहां पटाखे का गोदाम है, जबकि दिल्ली में पटाखा निर्माण व उसका भंडारण अवैध है। स्थानीय लोगों के मुताबिक इसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों को थी। उन्हें मोटा चढ़ावा भी चढ़ाया जाता था।
दिल्ली अग्निशमन विभाग के अधिकारी भी गोदाम के अवैध होने की बात कह रहे हैं। हालांकि इसके मालिक के खिलाफ पहले कार्रवाई क्यों नहीं हुई, इसकी जांच की बात कही जा रही है। दिल्ली सरकार के अनुसार दिल्ली में बवाना, नरेला, पीरागढ़ी, ओखला, ङिालमिल, रोहतक रोड व मायापुरी आदि 22 प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र हैं।
ये क्षेत्र दिल्ली स्टेट इंडस्टियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट कार्पोरेशन (डीएसआइआइडीसी) के अंतर्गत आते हैं। पूरी दिल्ली में कई छोटे-छोटे औद्योगिक क्षेत्र हैं। वहां कई तरह की औद्योगिक गतिविधियां चल रही हैं। रिहायशी क्षेत्र में भी अवैध फैक्टियों को धड़ल्ले से चलाया जा रहा है।
औद्योगिक क्षेत्र की आड़ में चल रही अवैध गतिविधियां खतरे का सबब बनी हुई हैं। अग्निशमन अधिकारियों के मुताबिक इस प्रकार के परिसर में आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम के बाद विभाग गैर अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करता है। हर तीन वर्ष में आग से बचाव के उपाय दुरुस्त पाए जाने के बाद ही प्रमाणपत्र का नवीनीकरण किया जाता है।
सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर परिसर विभागीय नियमों का पालन नहीं करते। कई बार व्यवसायी स्थानीय अधिकारियों से मिलीभगत कर प्रमाण पत्र का नवीनीकरण करा लेते हैं। इसमें दिल्ली सरकार व पुलिस को भी नियमित रूप से हिस्सा जाता है। यही कारण है कि औद्योगिक क्षेत्र में अवैध रूप से कई तरह के कारोबार किए जा रहे हैं।
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