मंदिर की प्रोफाइल : श्री राजमाता झंडे वाला मंदिर, वेस्ट गोरख पार्क, शाहदरा
-शाहदरा के वेस्ट गोरख पार्क स्थित श्री राजमाता झंडेवाला मंदिर यमुनापार के प्रमुख मंदिरों में शुमा
-शाहदरा के वेस्ट गोरख पार्क स्थित श्री राजमाता झंडेवाला मंदिर यमुनापार के प्रमुख मंदिरों में शुमार है। इस मंदिर के आसपास घनी आबादी वाला क्षेत्र बसा हुआ है। इस मंदिर में एक खास बात यह है कि यहां निरंतर सत्संग चलते रहते हैं, जिनके जरिये श्रद्धालुओं को सही राह दिखाई जाती है और जरूरतमंदों की सेवा भी की जाती है।
मंदिर का इतिहास
शाहदरा में यह मंदिर काफी पुराना है, जिसका निर्माण सत्तर के दशक में हुआ और ब्रह्मलीन साध्वी श्रीश्री108 राजमाता ने एक छोटे से मंदिर के रूप में स्थापित किया। मंदिर में भक्तों की मान्यता व आस्था निरंतर बढ़ती गई और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने पर वेस्ट गोरख पार्क में इस मंदिर का विस्तार हुआ। मंदिर में गर्भ गृह और उसमें पवित्र गुफा स्थित है। इस गुफा में अष्ट भुजा जगदंबा की मूर्ति के साथ ही ब्रह्मलीन राजमाता की समाधि स्थापित है। वर्तमान समय में स्वामी राजेश्वरानंद राजगुरु महाराज यहां पूरे नवरात्रों के दौरान गुफा में रहते हैं और मौन व्रत तप करते हैं। भक्तों की आस्था है कि यहां धूप व दीप दान करने से मनोकामना शीघ्र पूरी होती है।
विशेषता
राजमाता मंदिर में धार्मिक कार्यो सहित आध्यात्मिक ज्ञान प्रसार की प्रक्रिया निरंतर चलती है और स्वामी राजगुरु महाराज के सानिध्य में दीन दुखियों व जरूरतमंदों को भी राहत पहुंचाई जाती है। इसी क्रम में यहां आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की सहायता कर कन्याओं का विवाह भी कराए जाते हैं। इसके अलावा यहां सामाजिक सेवाओं के रूप में भी नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर सहित आंखों के ऑपरेशन की सेवा भी दी जाती है। मंदिर में मंदबुद्धि बच्चों की शिक्षा के लिए विशेष कक्षाएं चलती हैं और इस मंदिर के आश्रम हरिद्वार, जम्मू, वैष्णों देवी, कटरा व वृंदावन पर भी सेवा कर रहे हैं।
नवरात्रों में विशेष
इस मंदिर में पूरे नवरात्रों के दौरान सुबह से ही चंडी यज्ञ सहित मां भगवती चौकी लगाई जाती है। इसमें जाने माने भजन गायक व कलाकार मां भगवती का गुणगान करने आते हैं। इसके साथ ही यहां फलहारी भंडारे की व्यवस्था व्रतधारी भक्तों के लिए कराई जाती है और अनुष्ठानों के बाद समापन समारोह के दौरान शोभायात्रा भी निकाली जाती है। शोभायात्रा कबूल नगर स्थित राजमाता चौक से होते हुए राज राजेश्वरी चौकी पर पहुंचती है और फिर रात दो बजे भोग के बाद आरती की जाती है। इस शोभायात्रा में सैकड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं। हर दिन जब माता की चौकी समाप्त होती है तब दुर्गा चालीसा का पाठ भी किया जाता है।
ऐसे पहुंचें
इस मंदिर तक पहुंचे के लिए सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन शाहदरा व वेलकम के हैं। दोनों ही स्टेशनों की दूरी तकरीबन एक समान है जहां से कुछ ही दूरी पर मंदिर स्थित है। यहां से पैदल रास्ता भी अधिक दूर नहीं है, मगर कॉलोनी के बीच मंदिर होने की वजह से थोड़ा फासला रहता है। ऐसे में यहां साईकिल व ई-रिक्शा के जरिये भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। शाहदरा बस टर्मिनल भी नजदीक होने से डीटीसी की बसों की सेवा भी यहां अच्छी है, जहां से मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- हमें इस मंदिर की सेवा का अवसर मिला है इसके लिए हम खुद को खुशकिस्मत समझते हैं। हमारे यहां हर बार नवरात्र महोत्सव में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है। चौथे नवरात्र में राजमाता मंदिर के अवतरण दिवस पर फूल बंगला सजा कर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जो कि सभी का ध्यान आकर्षित करेंगे।
- राम राज वोहरा, सह प्रबंधक।
-मां भगवती की कृपा सबपर हमेशा बनी रहती है मगर यह वक्त ऐसा होता है कि जब हमारे पास मां से जुड़ने के विकल्प खुलते हैं। स्वयं राजमाता एवं मां अष्टभुजी सभी भटके हुए लोगों को राह दिखाती है, साधु संत तो एक जरिया मात्र होते हैं। हमें यह सौभाग्य मिला है कि हम धर्म प्रेमी श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
- स्वामी राजेश्वरानंद, महाराज।
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