ट्रेकोमा की बीमारी भारत से खत्म
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली: देश में अंधेपन की मुख्य बीमारियों में शुमार रही ट्रेकोमा का संक्रमण अब दे ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली:
देश में अंधेपन की मुख्य बीमारियों में शुमार रही ट्रेकोमा का संक्रमण अब देश से करीब करीब खत्म हो चुका है। एम्स के आरपी सेंटर द्वारा किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। इस बाबत जल्द ही आरपी सेंटर के डॉक्टर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को रिपोर्ट सौपेंगे। इसके बाद भारत को ट्रेकोमा मुक्त देश घोषित किया जा सकता है।
आरपी सेंटर के प्रमुख डॉ. अतुल कुमार ने कहा कि 1960-70 के दशक में ट्रेकोमा के चलते देश में ज्यादा लोग अंधेपन से पीड़ित होते थे। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात व दिल्ली में अंधेपन से पीड़ित 50 फीसद लोगों में अंधेपन का कारण ट्रेकोमा था। इसलिए राष्ट्रीय अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम का नाम भी पहले ट्रेकोमा नियंत्रण कार्यक्रम था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम के तहत पिछले तीन साल में देश के 27 जिलों में सर्वे में किया गया है। जिसमें यह बात सामने आई है कि अब सिर्फ पांच फीसद मरीजों में ट्रेकोमा का संक्रमण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की दिशा निर्देश के मुताबिक यदि इस बीमारी का प्रसार दर पांच से नौ फीसद हो तो उस देश को ट्रेकोमा मुक्त माना जाएगा। उन्होंने कहा कि ट्रेकोमा की रोकथाम में आरपी सेंटर के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जिसने इस सर्वे से पहले अंडमान निकोबार में बड़े पैमाने पर बीमारी की रोकथाम के लिए अभियान चलाया था। आरपी सेंटर के कम्यूनिटी मेडिसिन के डॉ. प्रवीण वशिष्ठ ने कहा कि अंडमान निकोबार में करीब 50 फीसद बच्चे इस बीमारी से पीड़ित थे। वर्ष 2010 से 2013 तक विशेष अभियान चलाकर वहां हर बच्चे को दवा खिलाई गई। अंडमान निकोबार से भी यह बीमारी खत्म हो गई। उन्होंने कहा कि यह बीमारी ज्यादातर बच्चों को होती है। इसका कारण गंदगी, मक्खी व पानी गंदे पानी का इस्तेमाल है। इस बीमारी में एक खास तरह के जीवाणु का आंखों के पलकों में संक्रमण हो जाता है।

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