विश्व धरोहर की दौड़ में शामिल तेलंगाना का रामप्पा मंदिर
विजयालक्ष्मी, नई दिल्ली तेलंगाना के वारंगल में स्थित रामप्पा मंदिर (शिव मंदिर) विश्व धरोहर की दौड़
विजयालक्ष्मी, नई दिल्ली
तेलंगाना के वारंगल में स्थित रामप्पा मंदिर (शिव मंदिर) विश्व धरोहर की दौड़ में शामिल होने जा रहा है। साल 2018 में घोषित होने वाली विश्व धरोहरों की सूची में शामिल करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इस बार इस मंदिर का प्रस्ताव संस्कृति मंत्रालय को भेजा है। मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद इसे संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) को भेजा जाएगा।
वारंगल स्थित यह शिव मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है, जिसका नाम इसके शिल्पकार रामप्पा के नाम पर रखा गया। काकतिया वंश के महाराज ने इस मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में करवाया था। खास बात यह है कि इस दौर में बने ज्यादातर मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं, लेकिन कई प्राकृतिक आपदाओं के बाद भी इस मंदिर को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा है। यह शोध का विषय भी रहा है। एएसआइ के प्रवक्ता रामनाथ फोनिया ने बताया कि इस वर्ष विश्व धरोहर के लिए एक ही प्रस्ताव भेजा जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा आए इस प्रस्ताव को संस्कृति मंत्रालय स्वीकृति के लिए भेजा गया है। इस प्रस्ताव को फरवरी के पहले हफ्ते यूनेस्को भेजा जाना है। उन्होंने बताया कि इस मंदिर के उत्कृष्ट बनावट और मजबूती के कारण इसे विश्व धरोहर के लिए नामित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
मंदिर का इतिहास
तेलंगाना के काकतिया वंश के महाराजा गणपति देवा ने सन 1213 में शिव मंदिर का निर्माण कराना शुरू किया। इस मंदिर के शिल्पकार रामप्पा के काम से राजा इतने प्रसन्न हुए कि इसका नाम उन्हीं के नाम पर रख दिया। इस मंदिर को बनने में चालीस साल लग गए। यह मंदिर छह फीट ऊंची प्लेटफार्म पर बनाया गया है और इसकी दीवारों पर महाभारत और रामायण के दृश्यों को उकेरा गया है। इस मंदिर में नौ फीट ऊंची नंदी की भी मूर्ति है। शिवरात्रि के दिन यहां देश भर से श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं।
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