लकवा पीड़ित गरीबों का मुफ्त इलाज कर रहे डा.नरेश
संजय सलिल, बाहरी दिल्ली डा. नरेश कुमार लकवा पीड़ित गरीबों का न केवल मुफ्त में इलाज करते हैं, बल्कि
संजय सलिल, बाहरी दिल्ली
डा. नरेश कुमार लकवा पीड़ित गरीबों का न केवल मुफ्त में इलाज करते हैं, बल्कि गंभीर स्थिति में उनके लिए पैसे की भी व्यवस्था कराते हैं। वह पिछले दस साल से नि:स्वार्थ भाव से इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं। वह अब तक ढ़ाई हजार से अधिक जरूरतंदों की मदद कर चुके हैं। उनके इस सराहनीय कार्य के लिए उन्हें कई सम्मान मिल चुके हैं। अभी बीते दिसंबर माह में एम्स में आयोजित वार्षिक फिजियोथेरेपी सम्मेलन में भी उन्हें सम्मानित किया गया।
पीतमपुरा में अस्पताल चला रहे डा. नरेश कुमार का कहना है कि एक स्वस्थ्य व्यक्ति ही समाज के विकास में योगदान कर सकता है। हर व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी मूलभूत सुविधाएं मिलनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। इसकी कई वजह हैं। एक तो गरीबी व जागरूकता की कमी तो दूसरे स्वास्थ्य के मामले में सरकारी तंत्र के पास व्यापक नीतियों का अभाव है। इसी वजह से मैंने सोचा क्यों न अपने स्तर से जो किया जा सके करें। अपने पास एक हुनर है, बस इसका इस्तेमाल शुरू कर दिया। वह बताते हैं कि सड़क हादसे समेत विभिन्न कारणों से लकवा (पैरालिसिस) के शिकार गरीबों का मुफ्त में इलाज करते हैं। जरूरत पड़ने पर इलाज के लिए सामाजिक संगठनों के सहयोग से पैसे की भी व्यवस्था कराते हैं। उनका सपना है कि समाज में एक भी व्यक्ति लकवाग्रस्त न रहे। वह कहते हैं कि ऐसे मरीजों के इलाज में लंबा समय लगता है। इलाज में काफी खर्च भी आता है। बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनका पैसे के अभाव में इलाज नहीं हो पाता है। उन्हें जब ऐसे जरूरतमंद लोगों के बारे में अखबारों व सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिलती है तो वह उनकी मदद के लिए आगे आते हैं।
उन्होने बताया कि गत वर्ष जून में जनकपुरी में चर्चित हिट एंड रन मामले में संतोष पैरालिसिस का शिकार हो गया था। वह डीडीयू अस्पताल में भर्ती था। वहां उसका आगे का इलाज संभव नहीं हो पा रहा था। उन्हें जब इसकी जानकारी मिली तो वह उसे सेंटर में लेकर आ गए चार महीने तक रखकर इलाज किया। इसके कारण वह दोबारा चलने फिरने लगा। लोगों के घरों में सहायक का काम करने वाला पीतमपुरा निवासी नेपाली युवक प्रेम सीढ़ी से नीचे गिर गया था। इसके चलते उसके गर्दन की हड्डी टूट गई और बिस्तर में पड़े -पड़े उसे बेडसोर हो गया था। उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपना इलाज करा सके। उसकी सर्जरी के लिए पांच लाख रुपये की जरूरत थी। इसका प्रबंध भी उन्होंने श्रीमती रामदत्ती दुआ मेमोरियल ट्रस्ट, मुल्तान सेवा समिति आदि संस्थाओं की मदद से किया। अब वह दोबारा काम करने लायक हो गया है। कुछ दिन पूर्व ही सड़क हादसे के कारण पैरालिसिस के शिकार बुराड़ी के अनिल का भी उन्होंने मुफ्त इलाज किया और उसे चलने फिरने के लायक बनाया। उनके खाते ऐसे बहुत से गरीबों के नाम दर्ज हैं, जिन्हें उन्होंने जीवनदान दिया है।
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देश भर मे मुहिम चलाने की योजना :
वह कहते हैं कि लकवा शिकार ऐसे जरूरतंदों की मदद के लिए वह देश स्तर पर मुहिम चलाने की योजना पर काम कर रहे हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने कर दी है और अगले साल तक हरिद्वार में आधुनिक सेंटर बनकर तैयार हो जाएगा। इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए वह जल्द ही स्ट्रोक फाउंडेशन आफ इंडिया नामक संस्था का गठन भी करने जा रहे हैं। इसमें विभिन्न राज्यों के ऐसे डॉक्टरों, समाज सेवकों को शामिल किए जाएगा, जो गरीबों की मदद के लिए काम कर रहे हैं।
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