भजन-कीर्तन से पर्यावरण व जल संरक्षण की मुहिम
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : रोहिणी में रहने वाली सुमन सोनी भजन और कीर्तन के जरिये लोगों को जल ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली :
रोहिणी में रहने वाली सुमन सोनी भजन और कीर्तन के जरिये लोगों को जल और पर्यावरण बचाने के लिए जागरूक कर रही हैं। इससे इलाके में उनकी अलग ही पहचान बन गई है। इससे क्षेत्र के लोग भी उनकी मुहिम का हिस्सा बन रहे हैं। मूल रूप से राजस्थान की रहने वाली सुमन जल संकट की समस्या से बचपन से परिचित हैं। इसके विकराल रूप को उन्होंने पास से देखा है। इस गंभीर समस्या से बचने के लिए वे लोगों को समझा रही हैं कि जल और पर्यावरण क्यों जरूरी है? भजन व कीर्तन के से सुमन जल और पर्यावरण से होने वाली भयावह स्थिति के बारे में बताती हैं तो वहीं छोटी सी पहल से इसे बचाने का संदेश देती हैं। इस मुहिम में उन्हें लोगों का पूरा सहयोग मिल रहा है।
सुमन ने बताया कि मुझे खुशी है कि मेरी पहल से कुछ लोग पानी और पर्यावरण बचाने के लिए आगे आए हैं। शुरुआत में मैंने सोचा था कि यदि एक भी व्यक्ति को मैंने जागरूक किया तो मैं सफल हो जाऊंगी। इसका परिणाम यह है कि आज 100 से ज्यादा लोग इस मुहिम में मेरे साथ जुड़ गए हैं। वे न सिर्फ परिवारों व रिश्तेदारों, बल्कि अन्य लोगों को भी जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। सुमन का कहना है कि आज घर-घर में पानी फिल्टर करने के लिए आरओ का उपयोग किया जाता है। इसमें एक तिहाई पानी खराब निकल जाता है। इसका उपयोग हम अपने गार्डन व बर्तन धोने जैसे कार्यो में कर रहे हैं। इससे न सिर्फ पानी की बचत की जा सकती है, बल्कि गंभीर होती समस्या को रोका जा सकता है। कई बार लोग हमसे कहते हैं कि कोई नहीं सुधरने वाला, आप क्यों परेशान होती हैं। ऐसे लोगों को हम सिर्फ यह कहते हैं कि आपको पानी बचाने और पर्यावरण को संरक्षित करने से किसने रोका है। इस मुहिम से कई लोग पर्यावरण को बचाने के लिए पौधे लगा रहे हैं। छोटी पहल से लोगों को बदलते देखकर बड़ी खुशी मिलती है।
चार साल से कर रहीं पहल
चार साल से सुमन रोहिणी सेक्टर- 21 में धार्मिक आयोजन कर जल और पर्यावरण को बचाने के लिए प्रयास कर रही हैं। इसमें उनकी मां वैष्णव व कीर्तन मंडल की 11 सदस्य भी पूरा सहयोग दे रही हैं। एमए और बीएड की पढ़ाई करने वाली सुमन ने राजस्थान में पानी के संकट से अपने लोगों को परेशान होते देखने के बाद यह मुहिम शुरू की। इसमें अब कई संगठन भी उनका साथ दे रहे हैं।

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