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    अपडेट।।।।।।। सात जलशोधन संयंत्र ठप, पानी की आपूर्ति प्रभावित

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    Updated: Sat, 20 Feb 2016 10:37 PM (IST)

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली: हरियाणा के जाट आंदोलन की आंच से दिल्ली भी झुलसने लगी है। आंदोलनकारियों द्वा ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली: हरियाणा के जाट आंदोलन की आंच से दिल्ली भी झुलसने लगी है। आंदोलनकारियों द्वारा जबरन मूनक नहर का गेट बंद किए जाने से राजधानी में यमुना नदी से पानी की आपूर्ति बंद हो गई है। शनिवार सुबह से ही इसका असर होने लगा और शाम होते-होते दिल्ली जल बोर्ड के नौ में से सात जल शोधन संयंत्र ठप हो गए। इसके चलते दिल्ली में पानी की आपूर्ति प्रभावित हुई है। यदि जल्द ही स्थिति पर काबू नहीं पाया गया तो हाहाकार मचने लगेगा। प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़क मार्ग बंद किए जाने से हरियाणा के रास्ते आने वाली फल व सब्जियों की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है। आजादपुर मंडी के अधिकारियों का कहना है कि अगर जल्द जाट आन्दोलन खत्म नहीं हुआ तो दिल्ली एनसीआर में हालात बिगड़ सकते हैं। स्थिति बिगड़ती देख दिल्ली सरकार ने हरियाणा व केंद्र सरकार के समक्ष मामले को उठाया है और पेयजल आपूर्ति तुरंत समान्य किए जाने की मांग की है। मूनक नहर से पानी बंद करने के मामले को लेकर दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर करेगी।

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    गौरतलब है कि हरियाणा से तुरंत पानी नहीं छोड़े जाने पर दिल्ली के लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे। इतना ही नहीं नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) के वीवीआइपी इलाकों (सांसदों व मंत्रियों के निवास) में भी पानी की किल्लत होगी। जल बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार मूनक नहर बंद किए जाने से राजधानी के सात जल शोधन संयंत्र बंद हो गए हैं। इसमें हैदरपुर, नांगलोई, बवाना, द्वारका, ओखला, चंद्रावल व वजीराबाद जल शोधन संयंत्र शामिल हैं। इन सभी संयंत्रों को यमुना से करीब 550 एमजीडी पानी आपूर्ति होती है। दिल्ली में जल बोर्ड प्रतिदिन करीब 900 एमजीडी पानी आपूर्ति करता है। यमुना से पानी आपूर्ति बंद होने से यहां पेयजल आपूर्ति 60 फीसद कम हो गई है। पांच संयंत्र तो दोपहर को ही बंद हो गए थे। दो संयंत्र शाम तक बंद हो गए। इसके चलते शनिवार को उत्तरी दिल्ली व उत्तरी पश्चिमी दिल्ली में पानी की आपूर्ति बिल्कुल नहीं हो सकी। पश्चिमी दिल्ली, दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली, मध्य दिल्ली व एनडीएमसी के इलाकों भी पानी की किल्लत रही। यदि मूनक नहर से रात तक पानी आपूर्ति शुरू भी हो जाती है तो भी यहां दो-तीन दिनों तक पेयजल किल्लत रहना तय है, क्योंकि संयंत्रों तक पानी पहुंचने में समय लगेगा।

    उधर, जल बोर्ड के अध्यक्ष व दिल्ली सरकार के जल मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा है कि वर्ष 2011 में उत्तर प्रदेश में हुए आंदोलन के दौरान पानी व अन्य जरूरी खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व सभी राज्य सरकारों को आदेश दिया था कि बुनियादी जरूरत की चीजों की आपूर्ति किसी भी सूरत में प्रभावित नहीं की जानी चाहिए, जबकि एक बार फिर हरियाणा में आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने मूनक नहर का गेट बंद कर यमुना का पानी रोक दिया है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। सूचना मिली है कि उस गेट के सभी इलेक्ट्रॉनिक बंटन तोड़ दिए गए हैं, इसलिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से बातचीत की है। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने हालात पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ से दिन में बात की। इसके साथ ही रात में सिसोदिया व कपिल मिश्रा ने राजनाथ से मुलाकात की। इसके बाद कपिल ने जल बोर्ड के अधिकारियों संग बैठक की। बताया जाता है कि केंद्र व हरियाणा सरकार ने जल्द मूनक नहर से पानी आपूर्ति शुरू कराने का आश्वासन दिया है।

    जल बोर्ड के अधिकारियों के साथ आपात बैठक

    जल मंत्री कपिल मिश्रा ने शनिवार को जल बोर्ड के अधिकारियों के साथ आपात बैठक की और हालात का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि जल बोर्ड के अधिकारी हर घंटे स्थिति का समीक्षा कर रहे हैं। लेकिन, सच्चाई यह है कि जल शोधन संयंत्रों में पानी नहीं बचा है।

    बचा हुआ पानी भूमिगत जलाशयों में किया जा रहा स्टोर

    मूनक नहर में पानी आपूर्ति बंद होने के बाद नहर के निचले हिस्सों में पानी न के बराबर है। जल बोर्ड ने भूमिगत जलाशयों में भंडारण शुरू कर दिया है, ताकि लोगों को कम से कम टैंकर से पानी की आपूर्ति हो सके। जल बोर्ड ने अधिकारियों व कर्मचारियों की शनिवार व रविवार की छुट्टियां रद कर दी हैं। कर्मचारी रविवार को भी जल बोर्ड के केंद्रीय आपातकालीन केंद्र में मौजूद रहेंगे। जहां फोन कर लोग पानी के टैंकर मंगा सकेंगे।

    सिर्फ दो संयंत्र हैं चालू

    जल बोर्ड के सोनिया विहार व भागीरथी संयंत्र में उत्तर प्रदेश के गंग नहर से पानी की आपूर्ति होती है। इसलिए सिर्फ ये दोनों ही संयंत्र ही चालू हैं। इस वजह से पूर्वी दिल्ली व दक्षिणी दिल्ली के लोगों को ज्यादा पेयजल किल्लत नहीं झेलनी पड़ेगी। दक्षिणी दिल्ली के कुछ इलाकों में ही पेयजल समस्या रहेगी।