अब 7 साल से कम सजा वाले अपराध में होगी गिरफ्तारी
सर 12 बजे के बाद नेट पर चलाए ---------------------- -सन 2008 में कानून एवं विधि मंत्रालय ने पुलि
सर 12 बजे के बाद नेट पर चलाए
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-सन 2008 में कानून एवं विधि मंत्रालय ने पुलिस के अधिकार में कर दी थी कटौती
-मंत्रालय ने हाल में नई अधिसूचना जारी कर फिर से पुलिस के अधिकारों की बढ़ोतरी
राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली
भारत सरकार के कानून एवं न्याय मंत्रालय ने कानून में बदलाव लाकर पुलिस के अधिकार में बढ़ोतरी कर दी है। अब सात साल से कम सजा के अपराध में भी पुलिस मुल्जिम को गिरफ्तार कर सकती है। कानून एवं न्याय मंत्रालय द्वारा कानून में किया गया यह बदलाव पूरे देश में लागू होगा।
अभी तक सात साल या सात साल से ऊपर वाले आपराधिक मामले में ही पुलिस मुल्जिम को गिरफ्तार करती थी। ऐसे मामलों में पुलिस बगैर मुल्जिम को गिरफ्तार किए न्यायालयों में आरोप पत्र दाखिल कर देती थी। ऐसे हालात में मुल्जिम पहले ही अपनी जमानत करा लेते थे।
आजादी के बाद से वर्ष 2008 तक पुलिस सात साल से कम सजा वाले संज्ञेय (गैर जमानती) गुनाहों में भी मुल्जिम को गिरफ्तार कर लेती थी, लेकिन 2008 में मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर पुलिस से यह अधिकार ले लिया था। कानून में हालिया बदलावों पर नजर रखने वाले लोगों के मुताबिक पुलिस के अधिकारों में कटौती का प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। लोगों के अंदर से गिरफ्तारी का भय खत्म होने से संज्ञेय अपराध के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही थी। इसे देखते हुए भारत सरकार के कानून एवं न्याय मंत्रालय ने नई अधिसूचना जारी कर कानून में संशोधन कर पुलिस के अधिकार में फिर से बढ़ोतरी कर दी है। यह अधिसूचना वैसे तो तीन महीने पहले जारी हुई है, लेकिन अब जाकर दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को इस बारे में जानकारी मिल पाई है।
कानून जानकारों के मुताबिक मंत्रालय का यह फैसला अपराध में कमी लाने में सहायक होगा। पहले सीआरपीसी की धारा -11 के तहत अगर कोई व्यक्तिसात साल से कम सजा वाला संज्ञेय अपराध करता था। पुलिस को लगता था कि मुल्जिम शिकायतकर्ता या गवाह को नुकसान पहुंचा सकता है और साक्ष्यों को नष्ट कर सकता है तब पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती थी, लेकिन 2008 के बाद से पुलिस के हाथ बंध गए थे। अगर पुलिस सात साल से कम सजा वाले संज्ञेय अपराधिक मामले में मुल्जिमों को गिरफ्तार कर लेती थी तब अदालतों से उन्हें फटकार सुननी पड़ती थी। फटकार के डर से पुलिस ने सात साल से कम सजा वाले मामलों में मुल्जिमों को पकड़ना ही बंद कर दिया था। तकरीबन 60 फीसद अपराध ऐसे हैं जिनमें सात साल से कम सजा का प्रावधान है।
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इन संज्ञेय अपराध में पुलिस नहीं कर पा रही थी गिरफ्तार
1. रुपयों से भरा बैग, मोबाइल व चेन झपटमारी (356, 379)--गैर जमानती--2-3 साल तक सजा
2. वाहन चोरी (379)- गैर जमानती-3 साल सजा
3. घरों व दफ्तरों में चोरी (457, 380)-गैर जमानती-तीन साल सजा
4. दहेज प्रताड़ना (498ए)--गैर जमानती-3 साल सजा
5. छेड़खानी-(354)-गैर जमानती-5 साल सजा
6. नाबालिग के साथ छेड़खानी (पॉक्सो)--गैर जमानती--पांच साल सजा
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