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    बाउंसर बन हजारों कमा रहे देहाती युवा

    By Edited By:
    Updated: Mon, 13 Apr 2015 10:24 PM (IST)

    संजीव कुमार मिश्र, नई दिल्ली आम आदमी पार्टी की हाल ही में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ब

    संजीव कुमार मिश्र, नई दिल्ली

    आम आदमी पार्टी की हाल ही में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बाउंसरों के हाथों नेताओं की पिटाई का मामला सुर्खियों में रहा। इसके साथ ही राजनीतिक गलियारे में बाउंसरों की बढ़ती हनक का भी पता चलता है। लंबा-चौड़ा कद, सुडौल शरीर, टिप-टाप पहनावा और आवाज में सख्ती। अखाड़े व जिम में चार से पांच घंटे पसीना बहाकर सुडौल शरीर बनाने वाले बाउंसर खेल हो या राजनीतिक दलों की सभा, हर जगह दिखाई देते हैं। क्या आपको पता है कि बाउंसर बनने के लिए क्या-क्या पापड़ बेलने पड़ते हैं। कितनी मेहनत करनी पड़ती है तो चलिए फिर हम आपको बताते हैं।

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    राजधानी की बाउंसर बस्ती

    दक्षिणी व बाहरी दिल्ली समेत दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली के कई इलाके बाउंसर बस्ती के रूप में जाने जाते हैं। असोला, फतेहपुरी, हौजखास, छतरपुर, शाहपुर जाट गांव, नजफगढ़, बवाना, नरेला, गढ़ी मेंढू, कूंच कलां, माजरा डबास में आपको बहुतायत बाउंसर मिल जाएंगे। असोला और फतेहपुरी क्षेत्र तो बाउंसर के लिए प्रसिद्ध हो चुके हैं। यहां हर घर में एक बाउंसर मिल जाएगा। पानीपत, सोनीपत, झज्जर, रोहतक व बागपत से भी बड़ी संख्या में बाउंसर दिल्ली में नौकरी करते हैं। ये बाउंसर पब, सिनेमा हाल व मॉल्स से लेकर खेलकूद, राजनीतिक दलों की सभाएं व राजनीतिक दलों की सुरक्षा में लगे हैं।

    जमकर बहाते पसीना

    सुडौल शरीर बाउंसर अखाड़े, जिम में जमकर पसीना बहाते हैं। असोला गांव के किशन कहते हैं कि उनके गांव में कोई भी ऐसा लड़का नहीं होगा जो अखाड़े में ट्रेनिंग नं लेता हो। वे कहते हैं कि आज से 10 साल पहले तो अखाड़ा ही अभ्यास स्थान होता था, लेकिन अब जिम खुल चुके हैं, जहां प्रतिदिन चार से पांच घंटे तक पसीना बहाना पड़ता है। इन्हें योगा का अभ्यास भी करना पड़ता है। किशन कहते हैं कि राजधानी में उद्योग धंधे बढ़े और विकास हुआ तो उन स्थानों को भी फायदा हुआ जहां से ज्यादा बाउंसर आते हैं। इन जगहों पर लड़के बचपन से अखाड़ों में आना शुरू कर देते हैं। सभी लड़के कसरत करते हैं, वे शरीर को मजबूत बनानेके लिए जुटे रहते हैं। इनमें से कोई भी शराब नहीं पीता और न ही तंबाकू खाता है।

    40 से 50 हजार रुपये की मासिक आय

    एक बाउंसर रोजाना औसतन 1500 रुपये कमा लेता हैं और इस तरह वह महीने में 30 से 50 हजार रुपये कमा लेता है। किशन बताते हैं कि पहले बहुत कम आय होती थी, लेकिन हाल के समय में आय बढ़ गई है। चुनाव, खेलकूद, किसी विशेष आयोजन के दौरान घंटे के हिसाब से बाउंसर रखे जाते हैं। चुनाव के दौरान तो राजनेताओं के साथ सुरक्षा में लगे बाउंसरों का बाकायदा कांट्रैक्ट होता है। अब तो कई ऐसी कंपनियां भी खुल गई हैं जो जरूरत व बजट के हिसाब से लोगों को बाउंसर उपलब्ध कराती हैं।

    बाउंसर की खुराक

    बाउंसर की डाइट, जिम ट्रेनर तय करते हैं। किशन कहते हैं कि बाउंसर बनने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इसलिए डाइट पर ज्यादा ध्यान देना पड़ता है। उन्हें एक खास डाइट प्लान के तहत चलना पड़ता है, जो उनकेट्रेनर तय करते हैं। इस डाइट में खास तौर पर एक छात्र को कम से कम 3 से 4 लीटर दूध पीना होता है। दर्जन भर केले और करीबन आधा किलो फल। लंच में 1.5 से 2 किलोग्राम दही, वह भी 3-4 फ्लैट ब्रेड के साथ। शाम को, फ्लैटब्रेड के 2 पीस और एक से 1.5 किलोग्राम बादाम मिला दूध पीना होता है। जो मासाहारी हैं, उनके लिए भी अलग डाइट प्लान है। मासाहारियों के लिए उबला चिकन, 10 अंडे की जर्दी (पीला वाला हिस्सा), दर्जन भर केले और दिन में कम से कम 10 लीटर दूध शामिल होता है।

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