बवाना विधानसभा क्षेत्र की प्रोफाइल
विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र : बवाना विधानसभा संख्या : 7 तीन प्रमुख उम्मीदवार 1. गुग्गन ¨सह ( ...और पढ़ें

विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र : बवाना
विधानसभा संख्या : 7
तीन प्रमुख उम्मीदवार
1. गुग्गन ¨सह (भाजपा)
2. वेद प्रकाश (आप)
3. सुरेंद्र कुमार (कांग्रेस)
सामाजिक समीकरण : बवाना घनी आबादी वाला विधानसभा क्षेत्र है। यह उत्तर पश्चिम दिल्ली क्षेत्र के प्रमुख विधानसभा क्षेत्रों में आता है। वर्ष 1993 में विधानसभा चुनाव के दोबारा निर्माण के बाद बवाना क्षेत्र को पिछड़ी और अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित कर दिया गया था। क्षेत्र के परिसीमन में तीन नए वार्ड पूठ कलां, बेगमपुर व शाहबाद डेरी इस विधानसभा क्षेत्र से जुड़े थे। मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की बहुलता होने के कारण यहां कृषि के लिए काफी बड़ा क्षेत्र है, लेकिन औद्योगीकरण के लिए दिल्ली सरकार की ओर से ज्यादातर जमीनें अधिग्रहीत कर ली गई हैं। इस विधानसभा क्षेत्र की विशेषता है कि यहां बड़ी संख्या में औद्योगिक क्षेत्र है। दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अलावा राजीव गांधी खेल स्टेडियम भी यहां मौजूद है। यहां राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं।
क्षेत्र के प्रमुख इलाके : बवाना, बवाना औद्योगिक क्षेत्र, औचंदी बॉर्डर, बेगमपुर, पूठ कलां, हरेवली, प्रहलादपुर, शाहबाद डेरी, जैन नगर, जेजे कॉलोनी, रोहिणी सेक्टर-20, 21, 22 व 24 आदि प्रमुख हैं। क्षेत्र की ये कॉलोनियां बाहरी इलाके के कई प्रमुख गांवों से घिरी हैं। इस क्षेत्र में नांगल ठाकरान, बाजितपुर, माजरा डबास, पूंठ खूर्द, होलंबी कलां, खेरा खुर्द, सुल्तानपुर डबास व होलंबी खुर्द जैसे गांव शामिल हैं।
जातीय समीकरण : फीसद में
अनुसूचित जाति- 27 प्रतिशत
पिछड़ा व अन्य- 27 प्रतिशत
जाट- 20 प्रतिशत
मुस्लिम- 12 प्रतिशत
ब्राह्माण-10 प्रतिशत
बनिया- 4 प्रतिशत
कुल मतदाता- 2,64, 116
पुरुष मतदाता- 1,47, 936
महिला मतदाता- 1,16,180
पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़े
गुग्गन ¨सह, भाजपा (विजयी)- 68, 407
मनोज, आप- 42,768
सुरेंद्र कुमार, कांग्रेस- 42,054
मत प्रतिशत
भाजपा- 41 फीसद
आम आदमी पार्टी- 27.43 फीसद
कांग्रेस- 25.26 फीसद
बसपा- 5.22 फीसद
निर्दलीय- 0.38 फीसद
राकांपा- 0.37 फीसद
सपा- 0.34 फीसद
क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे
- बवाना क्षेत्र में पानी की समस्या लंबे समय से मौजूद है। जनता पानी की समस्या से जूझ रही है।
- ग्रामीण व अनाधिकृत कॉलोनियों में टैंकरों से पानी की सप्लाई जा रही है।
-दर्जनों स्कूलों की हालत खराब है। अध्यापकों के पद लंबे समय से खाली हैं। विज्ञान व कॉमर्स विषयों की पढ़ाई ठीक ढंग से नहीं हो पा रही है।
- सीवर लाइन की समस्या यहां वर्षो से है। बढ़ती आबादी के हिसाब से कई ग्रामीण क्षेत्रों व कॉलोनियों में सीवर लाइन अब तक नहीं डाली गई है।
- सड़कों की हालत में भी कुछ खास सुधार नहीं हुए हैं। अब भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में गलियां टूटी-फूटी हैं।
-मुख्य मार्ग पर जाम की समस्या आए दिन लोगों को परेशान करती है। इससे निबटने के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं।

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