दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित मामलों का बोझ 1.20 लाख के पार, जजों की कमी से न्याय में होती है देरी
दिल्ली हाई कोर्ट में जजों की कमी के कारण 1.20 लाख से अधिक मामले लंबित हैं, जिनमें रिट पिटीशन और आपराधिक मामले प्रमुख हैं। हाल ही में कई जजों के तबादले और सेवानिवृत्ति से यह समस्या बढ़ी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट में छह जजों के स्थानांतरण की सिफारिश की है, जिससे जजों की संख्या में सुधार की उम्मीद है। लंबित मामलों को निपटाने के लिए हाई कोर्ट ने एक एकीकृत कार्य योजना भी लागू की है, जिसके तहत पुराने मामलों को जून 2027 तक निपटाने का लक्ष्य है।

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली: न्याय की चौखट पर लगातार बढ़ते लंबित मामलों के बोझ को कम करना एक चुनौती बन गया है और आम नागरिकों को न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।
दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा जारी ताजा आंकड़ों पर नजर फेरें तो विभिन्न अदालतों में 1.20 लाख मामले लंबित हैं और विभिन्न अदालतों में लंबित सबसे ज्यादा मामले रिट पिटीशन, टैक्स और आपराधिक मामलों से जुड़े हैं।
इनमें से कई मामले लंबे समय से लंबित हैं। लंबित मामलों के कारण कई जरूरी मामले नहीं सुन पाने की स्थिति पर स्वयं दिल्ली हाई कोर्ट की एक पीठ ने चिंता व्यक्त की थी।
पीठ ने की टिप्पणी- जजों की कमी मामले अनसुने रह जाते हैं
न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया की पीठ ने टिप्पणी की थी कि जजों की कमी के कारण कई मामले अनसुने रह जाते हैं और उचित समयावधि में अपीलों पर निर्णय नहीं ले पाते हैं, जोकि एक न्यायाधीश के लिए बेहद पीड़ादायक होता है। लंबित मामलों की बढ़ती संख्या की मुख्य वजह दिल्ली हाई कोर्ट में निरंतर कम होती न्यायाधीशों की संख्या भी है।
अप्रैल व मई में एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश पर दो न्यायाधीशों (न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह व न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा) का दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई काेर्ट और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा का स्थानांतरण कलकत्ता हाई कोर्ट कर दिया गया।
दो न्यायाधीश (न्यायमूर्ति रेखा पल्ली व न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा) के सेवानिवृत्त हो गए। इसके कारण हाई कोर्ट में स्वीकृत 60 पदों पर जजों की संख्या 35 हो गई। हालांकि, 26 मई को सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने विभिन्न हाई कोर्ट में कार्यरत छह न्यायाधीशों का दिल्ली हाई कोर्ट में स्थानांतरण करने की शिफारिश की है।
उम्मीद है आने वाले दिनों में जजों की संख्या बढ़ेगी
ऐसे में उम्मीद है कि काेलेजियम की सिफारिश को केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने के बाद आने वाले दिनों में दिल्ली हाई कोर्ट में जजों की संख्या में सुधार होगा और लंबित मामलों को निपटाने में तेजी आएगी।
16 जून को हाई कोर्ट द्वारा जारी आंकड़ों के तहत विभिन्न मुद्दों को लेकर व्यक्तिगत तौर पर दाखिल की जाने वाली 34700 से अधिक रिट-पिटीशन लंबित है, जबकि 34400 से अधिक आपराधिक मामलाें से जुड़ी याचिकाएं लंबित हैं।
इसके अलावा टैक्स से संबंधित 30 हजार से अधिक मामले लंबित हैं। लंबित मामलों को निपटाने में मददगार होगी एकीकृत कार्य योजना सालों से लंबित लंबित मामलों को बढ़ती संख्या को देखते हुए हुए ही मई माह में दिल्ली हाई कोर्ट ने तीन चरणों की एक व्यापक और एकीकृत कार्य योजना लागू करने का निर्णय लिया था।
10 से 30 वर्ष से लंबित मामलों को मिलेगी प्राथमिकता
उम्मीद है कि यह आने वाले दिनों में लंबित मामलों का निपटारा करने में मददगार साबित होगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह घोषणा न्यायमूर्ति अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की समिति द्वारा सभी हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट के लिए तैयार की गई एक माॅडल योजना के क्रम में की थी।
इसके तहत 10, 20 या 30 वर्षों से लंबित मामलों काे प्राथमिकता दी जाएगी। जून 2026 तक 20 साल पुराने और जून 2026 से मई 2027 तक 10 वर्ष पुराने मामले का निपटारा करने का प्रयास किया जाएगा।
दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित मुकदमे
- सिविल रिट पिटीशन - 34,736
- सिविल मुकदमे, टैक्स के अलावा अन्य - 30,439
- टैक्स अपील व रेफरेंस - 2,390
- आपराधिक मुकदमे - 34,488
- ओरिजनल साइड मुकदमे - 17,597
- कंपनी के मुकदमे - 7,65
- कुल मुकदमे - 1,20,415
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