राजा बलि का गढ़ खोजने को फिर होगी खोदाई
वीके शुक्ला, नई दिल्ली राजा बलि के गढ़ का पता लगाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) बिहा
वीके शुक्ला, नई दिल्ली
राजा बलि के गढ़ का पता लगाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) बिहार के मधुबनी जिला में स्थित बलिराज गढ़ इलाके की खोदाई कराएगा। एएसआइ की स्थायी समिति ने इसके लिए स्वीकृति दे दी है। इस पर 25 लाख की राशि खर्च की जाएगी। एएसआइ का कहना है कि शीघ्र ही वहां खोदाई का काम शुरू किया जाएगा।
राजा बलि के गढ़ का पता लगाने के लिए यह चौथा प्रयास होगा। इससे पहले वर्ष 1962-63, 1972-73 व 1974-75 में खोदाई हो चुकी है। मगर इस सच्चाई से पर्दा नहीं उठ सका है। मधुबनी जिला के अंतर्गत बाबूबरही प्रखंड में स्थित बलिराज गढ़ एक ऐतिहासिक स्थल है। ऐसी मान्यता है कि प्रहलाद के पौत्र एवं विरोचन के पुत्र राजा बलि का यह गढ़ रहा है। इसकी ऐतिहासिक महत्ता को देखते हुए वर्ष 1905 में सरकार द्वारा इसे अधिग्रहण कर लिया गया। वर्ष 1962-63 में एएसआइ तथा वर्ष 1972-73 एवं वर्ष 1974-75 में पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय बिहार सरकार द्वारा यहां उत्खनन कराया गया था। जिसमें 10वीं एवं 11वीं शताब्दी से लेकर 200 ईसा पूर्व तक के अवशेष मिले हैं। उत्खनन में ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के दौरान शुंग काल में निर्मित रक्षात्मक दीवार, प्राचीन मंदिर के अवशेष तथा मानव एवं पशु टेराकोटा की आकृतियां व ताबे के सिक्के प्राप्त हुए हैं। मधुबनी के कुछ लोग इस ऐतिहासिक धरोहर को राष्ट्रीय पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कराने के लिए प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, अब तक बलिराज गढ़ का समुचित विकास नहीं हो पाया है।
ज्ञात हो कि पौराणिक कथाओं में राजा बलि को महान योद्धा व महादानी बताया गया है।