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    500 मीटर से बड़े प्लॉट में वर्षा जल संचयन प्रणाली अनिवार्य

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    Updated: Wed, 20 Aug 2014 08:21 PM (IST)

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    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : राजधानी में 500 मीटर से अधिक क्षेत्रफल के प्लॉट में रहने वाले लोगों को वर्षा जल संचयन प्रणाली अनिवार्य रूप से लगानी होगी। ऐसा न करने पर दिल्ली जल बोर्ड द्वारा बिजली बिल में डेढ़ गुना राशि का जुर्माना लगाया जाएगा। जो लोग इस प्रणाली को लगाएंगे, उन्हें पानी के बिल में 10 फीसद की छूट दी जाएगी। यह जानकारी दिल्ली हाई कोर्ट में दिल्ली जल बोर्ड के स्थायी अधिवक्ता सुमित पुष्करणा ने बुधवार को एक हलफनामे के माध्यम से दी। यह हलफनामा न्यायमूर्ति बीडी अहमद व न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की खंडपीठ के समक्ष दायर किया गया है। अब इस मामले की सुनवाई 24 सितंबर को होगी, क्योंकि सरकार ने अदालत को बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी इस तरह के मामले की सुनवाई कर रही है, जिसमें दस सितंबर को रिपोर्ट दायर की जाएगी। ट्रिब्यूनल द्वारा गठित पैनल रिपोर्ट दायर करेगा।

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    ज्ञात हो कि पिछली सुनवाई पर खंडपीठ ने गिरते भूजल स्तर पर चिंता जताते हुए कहा था कि जल्द ही पानी पर युद्ध होगा। साथ ही दिल्ली सरकार से पूछा था कि उनके पास वर्षा जल संचयन के तरीकों को लागू करने के लिए कोई नीति है या नहीं।

    जल बोर्ड के स्थायी अधिवक्ता सुमित पुष्करणा ने अदालत को बताया कि उन्होंने 500 मीटर से अधिक क्षेत्रफल के प्लॉटों पर बनने वाले मकानों में वर्षा जल संचयन प्रणाली लगाना अनिवार्य कर दिया है। हर मकान मालिक को इसकी सूचना जल बोर्ड को अनिवार्य रूप से देनी होगी। ऐसे लोगों को पानी के बिल में छूट दी जाएगी और यह प्रणाली न लगाने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा।

    वहीं, 2000 मीटर से बड़े प्लॉटों में वर्षा जल संचयन प्रणाली लगाने वाले लोगों को जल बोर्ड आर्थिक मदद भी प्रदान करेगा और ऐसे लोगों को पानी के बिल में 15 फीसद छूट प्रदान की जाएगी। जिससे कि वर्षा जल संचयन प्रणाली को बढ़ावा मिल सके। वहीं, अगर कोई हाउसिंग सोयायटी यह प्रणाली अपनाती है तो उस सोसायटी के हर फ्लैट मालिक को पानी के बिल में राहत दी जाएगी। इसके अतिरिक्त वे जागरूकता अभियान भी चला रहे हैं।

    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता आरके कपूर ने वर्षा जल संचयन प्रणाली अनिवार्य किए जाने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड से जवाब तलब किया था।