सरसोंकी बुवाई का समय
जिन किसानों के खेत अभी खाली हैं वे यदि चाहें तो उनमें सरसों की बुवाई कर सकते हैं। खास बात यह है कि अभी किसान सरसों की जिन किस्मों को लगाएंगे वे दिसंबर तक पककर तैयार हो जाएंगी। इसके बाद किसान गेहूं की खेती कर सकेंगे।
पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों को दी गई अपनी सलाह में कहा है कि जो किसान अपनी खेत में सरसों की फसल लगाना चाहते हैं वे हर हाल में 25 अगस्त तक बुवाई कर लें। सरसों की उपयुक्त किस्मों में पूसा तारक, पूसा अगर्णी सहित अनेक किस्में शामिल हैं। सरसों की इन किस्मों से किसान प्रति हैक्टेयर 18 से 20 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। सरसों के अलावा किसान अपने खेत में गाजर भी वो सकते हैं। गाजर की खेती तीन महीने में तैयार हो जाएगी, जिन किसानों ने अपने खेत में धान की फसल लगा रखी है वे अपने खेतों में पानी भरा नहीं रहने दें। वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी खेत में केवल इतने पानी की जरूरत है, जिससे मिट्टी में नमी बरकरार रहे। केवल बालियों के बनने व फुटाव के समय अत्यधिक मात्रा में सिंचाई की जरूरत होती है। इस बीच किसान केवल इतना ध्यान रखें कि किसी भी सूरत में जमीन पर दरार नहीं बनें।
सब्जियों में (टमाटर, मिर्च, बैंगन, फूलगोभी व पत्तागोभी) में यदि फल छेदक, शीर्ष छेदक एवं फूलगोभी व पत्तागोभी में डायमंड बेक मोथ की निगरानी करें। यदि अधिक समस्या नजर आए तो स्पेनोसेड दवाई की एक मिलीलीटर मात्रा को चार लीटर पानी में मिलाकर उसका छिड़काव करें। इसी तरह यदि धान की फसल में पत्ता मरोड़ या तना छेदक कीट का प्रकोप नजर आए तो करटाप दवाई का प्रयोग करें। जिन किसानों की टमाटर, मिर्च, बैंगन, फूलगोभी व पत्तागोभी की पौध तैयार है, वे मौसम को ध्यान में रखते हुए रोपाई शुरू करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई से पहले अपने खेतों में पेंडामिथायलीन का छिड़काव करें। एक हैक्टेयर खेत के लिए पेंडामिथायलीन की पौने तीन किलोग्राम मात्रा को करीब 600 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाएं तब छिड़काव करें। फसलों व सब्जियों में निराई गुड़ाई का कार्य शीघ्रता पूर्वक करें तथा नाइट्रोजन की दूसरी मात्रा का छिड़काव शुरू कर दें। वैज्ञानिकों का कहना है कि निराई गुड़ाई के कई फायदे हैं। एक तो निराई गुड़ाई के बाद खरपतवार हटने के बाद फसल की पौध को पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे बारिश का पानी अधिक मात्रा में धरती के भीतर पहुंचता है। इससे खेत में नमी कायम रहती है। साथ ही कीड़े मकोड़ों का भी प्रकोप कम होता है।
जिन किसानों ने खेतों में दलहनी, मक्का व सब्जियों की खेती की हुई है, वे अपने खेत से जलनिकास का प्रबंध करें। इस समय किसान अपने खेतों में सरसों साग लगा सकते हैं। पूसा साग-1 उपयुक्त किस्म है। जिन खेतों में मिली बग का प्रकोप नजर आए तो वहां किसान प्रभावित पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें। यदि कीटों की संख्या अधिक हो तो साबुन का घोल बनाकर छिड़काव करें। उसके बाद क्यूनालफांस की दो मिलीलीटर मात्रा को एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। लेकिन किसी भी प्रकार का छिड़काव तभी करें जब आसमान में मौसम साफ रहे। जिन किसानों की मिर्च, बैंगन व अक्टूबर में तैयार होने वाली फूलगोभी की पौध तैयार है वे मौसम को ध्यान में रखते हुए रोपाई मेड़ों पर शुरू कर दें।
भिंडी, ग्वार, सेम, पालक, चोलाई की बुवाई करने से पहले उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। गुलदाउदी व गेंदे की तैयार पौध की मेड़ों पर रोपाई करें।
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