कैदी से वकीलों की मुलाकात पर नई बंदिशों को चुनौती
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : तिहाड़ जेल में बंद कैदियों से मुलाकात के लिए जाने वाले वकीलों को पेश आ रही समस्याओं को लेकर एक अधिवक्ता अमित साहनी ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बीडी अहमद व न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार व तिहाड़ जेल प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब इस मामले की सुनवाई 12 मार्च को होगी।
खंडपीठ ने सरकार व जेल प्रशासन से पूछा है कि क्या वकीलों द्वारा विचाराधीन कैदियों का लीगल इटरव्यू (वकील की मुवक्किल कैदी से मुलाकात) लेने के लिए दी जाने वाली अर्जियों के सत्यापन का काम ऑनलाइन हो सकता है? जिससे वकीलों को जेल परिसर में जाकर औपचारिकताएं पूरी करने के लिए इतजार न करना पड़े। यह भी बताया जाए कि तिहाड़ में अपने मुवक्किलों से मिलने जाने वाले वकीलों को क्या-क्या सुविधाएं दी जा रही हैं? अदालत ने प्रशासन व सरकार से उन दिशा-निर्देशों के संबंध में भी जवाब मागा है, जिनके तहत अब वकीलों को सप्ताह में केवल एक बार ही अपने मुवक्किल से मिलने की अनुमति दी गई है।
पेश मामले में अधिवक्ता अमित साहनी ने जेल प्रशासन के 27 फरवरी 2013 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत वकीलों को कैदियों से सप्ताह में एक बार ही लीगल इंटरव्यू दी गई है। इससे ज्यादा के लिए उनको तिहाड़ महानिदेशक से अनुमति लेनी होगी। साहनी का कहना है कि पहले वकीलों को पूरे सप्ताह मिसने की अनुमति थी। इसलिए इन दिशा-निर्देश को रद किया जाए। साथ ही तिहाड़ जाने पर वकीलों को न तो बैठने की सुविधा दी जाती है और न ही पानी व पार्किग की। इसलिए प्रशासन को निर्देश दिया जाए कि मिलने जाने वाले वकीलों के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।