टीबी होने पर छह महीने तक दवा का पूरा कोर्स लेना जरूरी
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : टीबी लाइलाज नहीं है। फिर भी हर तीन मिनट में एक व्यक्ति की टीबी से मौत हो जाती है। थोड़ी सी सजगता बरतें और समय पर इलाज कराएं तो इस बीमारी को मात दी सकती है। डॉक्टरों की मानें तो इलाज के दौरान आराम महसूस करने पर बीच में दवा छोड़ना सबसे बड़ी लापरवाही साबित होगी। टीबी के मरीज यदि छह महीने तक दवा लेकर कोर्स पूरा कर लें तो टीबी पूरी तरह ठीक हो सकती है।
24 मार्च को विश्व टीबी दिवस है। टीबी दिवस की पूर्व संध्या पर इस बीमारी पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डॉक्टरों ने कहा कि दुनिया में करीब 80 लाख लोग टीबी से ग्रसित हैं। जबकि देश में टीबी के मरीजों की संख्या करीब 20 लाख है। हर साल तीन लाख नए मरीज जुड़ जाते हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ. नरेंद्र सैनी ने कहा कि 30 प्रतिशत मरीज एमडीआर (मेडिकल ड्रग्स रेजिसटेंस) टीबी के मरीज होते हैं। जो बेहद खतरनाक है। समय पर इलाज नहीं कराने व दवा की खुराक नहीं लेने से साधारण टीबी एमडीआर टीबी में तब्दील हो जाता है। उन्होंने कहा कि दवा खाने पर दस से 15 दिन में मरीज को आराम मिल जाता है। इसका अर्थ यह नहीं हुआ कि टीबी ठीक हो गई। दवा का छह महीने का कोर्स होता है। उसे पूरा करना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन सरकार की सहायता से पांच हजार मुफ्त डाट केंद्र चलाता है। जहां गरीब व्यक्ति मुफ्त में इलाज करा सकता है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के प्रति जागरूकता नहीं होने व हल्के में लेने से लोगों की जाने जा रही है। जब तक यह बीमारी खत्म नहीं होगा। हम विकसित देश की श्रेणी में नहीं आ सकते। उन्होंने कहा कि टीबी संक्रामक बीमारी है। यदि टीबी हो तो सफाई का ध्यान रखें। लोगों के ऊपर न खासें, सड़क पर न थूकें। खासी 15 दिन से ऊपर हो जाए तो तो तुरंत जांच कराएं। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने भी बजट में हर जिले में एक टीबी सेंटर शुरू करने का प्रस्ताव किया है।
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