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    मेवाती गिरोह के बदमाशों पर लगेगा मकोका

    By Edited By: Updated: Mon, 21 Jan 2013 01:24 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : पड़ोसी राज्यों से आकर दिल्ली में डकैती, लूट, गाड़ी लूट समेत पशु चोरी जैसी संगीन वारदात करने वाले गिरोह खासकर मेवाती बदमाशों को पुलिस अब कोई मौका देने के मूड में नहीं है। पकड़े गए बदमाश जल्दी जेल से बाहर ना आ पाएं इसके लिए उनके खिलाफ अब मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट) में कार्रवाई करेगी। इसकी शुरुआत करते हुए पुलिस ने कुख्यात मेवाती गिरोह सरगना सल्ली समेत 22 बदमाशों को मकोका में निरुद्ध किया है। स्पेशल सेल अधिकारियों की मानें तो सल्ली के खिलाफ हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली समेत तमाम राज्यों में मालवाहक गाड़ियां लूटने के 82 से ज्यादा मामले दर्ज हैं।

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    विशेष पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव (स्पेशल सेल) के अनुसार हरियाणा के पलवल क्षेत्र का सल्ली और उसका भाई जफरू बेहद खतरनाक बदमाशों में शुमार हैं। गिरोह गाड़ियों में सवार होकर रात के समय वारदात के लिए निकलता था। हाइवे पर चलने वाले मालवाहक वाहन खासकर ट्रक व टाटा 407 उसके निशाने पर होते थे। पुलिस से आमना सामना होने पर इस गैंग के सदस्य फायरिंग करने से नहीं चूकते हैं। चोरी की गाड़िया खरीदने वाले व हथियार तस्कर गिरोह के कई बदमाशों से इनके संबध हैं। पूरी तरह सुनियोजित ढंग से यह गिरोह वारदात कर रहा था।

    स्पेशल सेल ने हाल ही में पश्चिम बंगाल से पीछा करते हुए दिल्ली में सल्ली और उसके साथियों को एक मुठभेड़ के बाद दबोचा था। गिरोह की गिरफ्तारी गाजियाबाद से पकड़े गए एक हथियार तस्कर से हासिल हुई जानकारी के आधार पर हुई थी।

    दिल्ली पुलिस के ही एक आला अधिकारी की मानें तो जांच में सामने आया है कि कई गिरोह संगठित तौर पर अपराध से मोटी कमाई कर रहे हैं। अपहरण, लूट, हथियार तस्करी व चोरी की गाड़ियों की खरीद फरोख्त से बदमाशों ने बड़े पैमाने पर संपत्ति अर्जित की है। मकोका में निरुद्ध होने के बाद पुलिस के पास संपत्ति को जब्त करने का भी अधिकार होगा।

    बदमाश जिन पर लगा है मकोका सल्ली, जाकिर, सुबी, जमशेद, आनिद, फारुख, सहुन, शेर खान, आशु, जफरू, शाहजहां शेख, अब्दुल मनन, फारुख, युसुफ, सुनील बेरी, गुड्डू मिस्त्री, छोटन, राना, बनिया, सनाह, निका तथा कसम।

    किस पर लग सकता है मकोका

    महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 1999 में मकोका बनाया था। इसका मकसद अंडरव‌र्ल्ड की संगठित गतिविधियों से निपटना था। वर्ष 2002 में दिल्ली में भी यह कानून लागू कर दिया गया है। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी बताते हैं जबरन वसूली, अपहरण व संगठित तौर पर अन्य अपराध करने वाले बदमाश इसमें निरुद्ध किए जा सकते हैं। संगठित अपराध में कम से कम दो व्यक्ति शामिल होने चाहिए। मकोका में केस तभी दर्ज होगा जब दस साल के दौरान आरोपियों ने कम से कम दो अपराध किए हों। उनके खिलाफ ऐसे मामलों में चार्जशीट दायर हुई हो जिनमें तीन साल सजा का प्रावधान हो। मकोका में भी जमानत का प्रावधान नहीं है। पुलिस सीधे मकोका नहीं लगा सकती। इसके लिए अतिरिक्त पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी से स्वीकृति लेनी पड़ती है। मकोका में अधिकतम सजा फांसी है। जबकि कम से कम पांच साल की सजा का प्रावधान है।

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