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    मोटापा बना देश की नई महामारी: हर 5 में से 1 वयस्क प्रभावित, ₹750 करोड़ पार करने को तैयार बैरिएट्रिक सर्जरी बाजार

    विशेषज्ञों के मुताबिक, मोटापा कई जटिल बीमारियों की जड़ बन सकता है, जैसे कि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, थायरॉयड, फैटी लीवर और घुटनों का दर्द। खासकर जब मोटापा 40-50 की उम्र में बढ़ता है, तो व्यक्ति धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता खोने लगता है। यह केवल शारीरिक तकलीफ नहीं, एक मनोवैज्ञानिक बोझ भी बन जाता है।

    By Anurag Mishra Edited By: Anurag Mishra Updated: Thu, 26 Jun 2025 10:44 PM (IST)
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    मोटापा अब केवल सौंदर्य से जुड़ा मुद्दा नहीं रहा, यह एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है। यह न केवल शरीर को बीमार करता है, बल्कि आत्मसम्मान, सामाजिक जीवन और मानसिक स्थिति पर भी भारी असर डालता है। मोटापे से पीड़ित व्यक्ति के लिए हर दिन एक जंग जैसा होता है, जहां कुछ कदम चलने में सांस फूलना, लगातार थकान और सामाजिक अलगाव जैसी समस्याएं आम हैं।

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    विशेषज्ञों के मुताबिक, मोटापा कई जटिल बीमारियों की जड़ बन सकता है, जैसे कि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, थायरॉयड, फैटी लीवर और घुटनों का दर्द। खासकर जब मोटापा 40-50 की उम्र में बढ़ता है, तो व्यक्ति धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता खोने लगता है। यह केवल शारीरिक तकलीफ नहीं, एक मनोवैज्ञानिक बोझ भी बन जाता है।

    गाजियाबाद के योगेश त्यागी की कहानी इसका उदाहरण है। 57 साल की उम्र में उनका वजन 170 किलो हो चुका था। न सिर्फ उन्हें डायबिटीज और थकान की समस्या थी, बल्कि वे अपनी दैनिक ज़रूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर हो चुके थे। मोटापे ने उन्हें मानसिक रूप से भी तोड़ दिया था। लेकिन सर्जरी के बाद उन्होंने 82 किलो वजन कम किया और अब वह एक स्वतंत्र और सक्रिय जीवन जी रहे हैं। योगेश कहते हैं कि डॉ. आशीष गौतम ने मुझे नया जीवन दिया। अब मैं अपने दम पर जी रहा हूँ और खुद को बोझ नहीं समझता।"

    ऐसी ही कहानी है 33 वर्षीय अनु राठी की। वह पीसीओडी, थायरॉयड, अस्थमा और फैटी लिवर जैसी बीमारियों से जूझ रही थीं। वजन 96 किलो हो गया था और सामाजिक आयोजनों से कटाव उनकी दिनचर्या बन गई थी। लेकिन वजन में 48 किलो की कमी के साथ न केवल उनकी सेहत सुधरी, बल्कि आत्मविश्वास भी लौटा। वह कहती है कि डॉ. आशीष गौतम जैसे विशेषज्ञों की भूमिका उम्मीद की किरण बनकर सामने आई है।

    डॉ. आशीष गौतम का कहना है, "मोटापा सिर्फ शरीर पर असर नहीं डालता, यह आत्मविश्वास और जीवन की गुणवत्ता भी छीन लेता है। लेकिन सही इलाज और दृढ़ संकल्प के साथ व्यक्ति एक नई शुरुआत कर सकता है।"

     

    चिकित्सीय समाधान:
    मोटापे से लड़ने के लिए जहां खानपान और व्यायाम जरूरी है, वहीं कई बार ये उपाय पर्याप्त नहीं होते। ऐसे में बैरिएट्रिक सर्जरी एक प्रभावी विकल्प के रूप में सामने आई है। यह सर्जरी पाचन तंत्र में बदलाव कर शरीर को कम खाने या कम कैलोरी अवशोषण की दिशा में ले जाती है।

    मेदांता (गुरुग्राम) के बैरिएट्रिक सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. विकास सिंघल बताते हैं, "जब डाइट और एक्सरसाइज काम न करें और मोटापा गंभीर स्वास्थ्य खतरा बन जाए, तब बैरिएट्रिक सर्जरी से जीवन में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। यह प्रक्रिया अब सुरक्षित और सामान्य हो चुकी है।"

    आज हजारों लोग इस सर्जरी की मदद से केवल वजन नहीं घटा रहे, बल्कि जीवन की गुणवत्ता, आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान भी वापस पा रहे हैं। मोटापे के खिलाफ लड़ाई अब केवल व्यक्तिगत नहीं रही, यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य मिशन बन चुकी है  जिसमें जागरूकता, समय पर इलाज और सामाजिक समर्थन सबसे बड़े हथियार हैं।

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