IPL 2025 Champak: 'चंपक' को लेकर क्यों छिड़ा है विवाद, जानें इसके पीछे की पूरी कहानी
दिल्ली प्रेस पत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि वह 1968 से चंपक पत्रिका का प्रकाशन कर रहा है। वहीं आईपीएल 2025 के एक मैच के दौरान 20 अप्रैल को बीसीसीआई ने रोबो डॉग को पेश किया जिसका नाम चंपक रखा गया। अब इसको लेकर बहस छिड़ गई है।

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को चंपक कॉमिक बुक के प्रकाशकों की दायर याचिका पर बीसीसीआई से जवाब मांगा। इस याचिका में आईपीएल द्वारा अपने एआई-संचालित रोबोट कुत्ते का नाम चंपक रखने पर ट्रेडमार्क उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने कहा कि चंपक ब्रांड नाम अनंत काल से अस्तित्व में है और उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से चार सप्ताह के भीतर याचिका के जवाब में लिखित बयान दाखिल करने को कहा। न्यायालय ने सुनवाई 9 जुलाई को तय की।
20 अप्रैल को बीसीसीआई ने किया लॉन्च
वादी के वकील ने यह भी प्रार्थना की कि प्रतिवादियों को उस चिह्न का उपयोग न करने का निर्देश देकर उन्हें अंतरिम संरक्षण प्रदान किया जाए। हालांकि, अदालत ने इस स्तर पर कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया।
दिल्ली प्रेस पत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि वह 1968 से चंपक पत्रिका का प्रकाशन कर रहा है। वहीं, आईपीएल 2025 के एक मैच के दौरान 20 अप्रैल को बीसीसीआई ने रोबो डॉग को पेश किया, जिसका नाम चंपक रखा गया।
कॉपी राइट का मामला
प्रकाशक की ओर से अधिवक्ता अमित गुप्ता ने कहा कि रोबोट कुत्ते का नाम "चंपक" रखना उसके पंजीकृत ट्रेडमार्क का उल्लंघन है और साथ ही इसका व्यावसायिक दोहन भी है, क्योंकि चम्पक एक प्रसिद्ध ट्रेडमार्क है।
उन्होंने कहा कि आईपीएल मैचों के दौरान मनोरंजन के लिए चंपक (रोबोटिक कुत्ता) का प्रसारण किया गया, जिससे वादी को अपूरणीय क्षति हुई, क्योंकि इससे उसके सुस्थापित ब्रांड को नुकसान पहुंचा, उसकी साख पर आंच आई और वह अनुचित रूप से समृद्ध हुआ।
बीसीसीआई ने दी ये दलील
बीसीसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जे साई दीपक ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि चंपक एक फूल का नाम है और लोग रोबोट कुत्ते को पत्रिका से नहीं बल्कि टीवी सीरीज के एक पात्र से जोड़ रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि रोबोट कुत्ते का नामकरण सोशल मीडिया पर एक कथित जनमत सर्वेक्षण के बाद किया गया था, जिसमें वादी के ब्रांड की मौजूदा साख और मान्यता के कारण चंपक नाम को भारी समर्थन मिला था।
प्रकाशक को हुआ है नुकसान
याचिका में दावा किया गया कि प्रतिवादियों द्वारा समाचार आउटलेट और सोशल मीडिया सहित विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों पर चंपक का निरंतर प्रचार करने से वादी के अधिकारों को होने वाली क्षति बढ़ रही है।
इसलिए प्रकाशक ने अदालत से बीसीसीआई और आईपीएल को अपने ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने से रोकने का आग्रह किया और अपने ट्रेडमार्क को हुई विशिष्टता, साख, प्रतिष्ठा, कमजोर पड़ने और नुकसान के लिए 2 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की।
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