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भारत के एक और विकेटकीपर बल्लेबाज ने लिया संन्यास, 2010 में किया था डेब्यू

मध्यप्रदेश के 37 साल के विकेटकीपर बल्लेबाज नमन ओझा ने सोमवार को अपने संन्यास की घोषणा कर दी। नमन के नाम घरेलू क्रिकेट में रणजी ट्रॉफी के दौरान विकेट के पीछे सबसे ज्यादा शिकार करने का रिकॉर्ड दर्ज है।

By Viplove KumarEdited By: Published: Mon, 15 Feb 2021 06:59 PM (IST)Updated: Mon, 15 Feb 2021 08:00 PM (IST)
भारत के एक और विकेटकीपर बल्लेबाज ने लिया संन्यास, 2010 में किया था डेब्यू
भारतीय विकेटकीपर नमन ओझा ने लिया संन्यास

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय क्रिकेट टीम के एक और विकेटकीपर बल्लेबाज ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। मध्यप्रदेश के 37 साल के विकेटकीपर बल्लेबाज नमन ओझा ने सोमवार को अपने संन्यास की घोषणा कर दी। नमन के नाम घरेलू क्रिकेट में रणजी ट्रॉफी के दौरान विकेट के पीछे सबसे ज्यादा शिकार करने का रिकॉर्ड दर्ज है।

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भारत की तरफ से एक वनडे और दो टी20 मुकाबले खेलने वाले विकेटकीपर बल्लेबाज नमन ओझा ने सोमवार 15 फरवरी को अपने क्रिकेट करियर पर विराम लगाने का फैसला लिया। साल 2010 में इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने श्रीलंका के खिलाफ अपना वनडे डेब्यू किया था लेकिन इसके बाद उनको कोई और मैच नहीं खेलने मिला। इसी साल जिम्बाब्वे के खिलाफ नमन ने दो टी20 मुकाबले खेले लेकिन इस सीरीज के बाद वह भारतीय टीम में वापसी नहीं कर पाए।

पांच साल के बाद 2015 में इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने भारत की तरफ से टेस्ट डेब्यू किया था लेकिन दुर्भाग्य से इसके बाद उनको कोई और मैच खेलने नहीं मिला। कुल मिलाकर नमन का इंटरनेशनल करियर कुछ खास प्रभावशाली नहीं रहा।

नमन ने अपने संन्यास का घोषणा करते हुए कहा, मैं अपने संन्यास की घोषणा कर रहा हूं। अब यह समय मेरे लिए आगे बढ़ने का है। यह एक लंबा सफर रहा, मुझे जितने भी मौके मिले उसके लिए शुक्रगुजार हूं। मैने देश और राज्य की तरफ से खेलने का सपना पूरा किया।

भले ही इंटरनेशनल क्रिकेट में नमन कुछ खास नहीं कर पाए लेकिन रणजी ट्रॉफी में उनके नाम खास उपलब्धि है। 146 रणजी मैच में इस विकेटकीपर ने विकेट के पीछे कुल 417 कैच पकड़े जबकि 54 स्टंपिंग की। 219 रन की सर्वश्रेष्ठ पारी के साथ नमन ने फर्स्टक्लास में कुल 9753 रन बनाए। 

फिटनेस के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, 'मेरी फिटनेस ठीक है। अभी भी अभ्यास करता हूं। मुझे कई राज्यों से प्रस्ताव मिले। मैं 14 साल का था जब घर छोड़कर इंदौर आया था। मैं परिवार को समय नहीं दे सका। अब चाहता हूं कि अपने बच्चों को समय दूं। अब इच्छा है कि ग्लोबल क्रिकेट लीग में खेलूं। वर्ष 2000 से रणजी ट्रॉफी करियर शुरू किया था। करियर में सिर्फ यह मलाल है कि टेस्ट क्रिकेट में और मौके मिलते तो बेहतर प्रदर्शन कर सकता था। मगर जो भी हासिल किया उससे खुश हूं।'


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