कौन हैं Danish Malewar? Ranji Trophy Final में केरल के खिलाफ शतक जड़कर क्रिकेट जगत का ध्यान अपनी ओर खींचा
दाएं हाथ के बल्लेबाज दानिश मालेवर (Danish Malewar) ने विदर्भ की टीम की पारी को संभालने में अहम भूमिका निभाई। मैच में विदर्भ की टीम ने पहले ओवर की दूसरी गेंद पर पार्थ के रूप में अपना पहला विकेट गंवाया था। फिर ध्रुव शोरे 16 रन बनाकर चलते बने। मैच में फिर दानिश मालेवर ने करुण नायर के साथ मिलकर 200 रन पार की साझेदारी बनाई।
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। 21 साल के दानिश मालेवर(Danish Malewar) ने रणजी ट्रॉफी 2025 के फाइनल मैच में केरल के खिलाफ शतक जड़ा। रणजी ट्रॉफी 2025 का फाइनल मैच 26 फरवरी यानी आज से शुरू हो गया ,जो कि 2 मार्च तक खेला जाएगा। इस मैच में केरल की टीम ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया। पहले बैटिंग करने आई विदर्भ की टीम की शुरुआत बेहद ही खराब रही।
24 रन के स्कोर तक विदर्भ की टीम को 3 बड़े झटके लगे, लेकिन दानिश मालेवर ने करुण नायर के साथ मिलकर टीम की पारी को संभाला। दानिश ने 168 गेंदों पर शतक जड़ा और विदर्भ की टीम की मैच में वापसी कराई।
Ranji Trophy 2025 Final: कौन हैं Danish Malewar?
दरअसल, दाएं हाथ के बल्लेबाज दानिश मालेवर (Danish Malewar) ने विदर्भ की टीम की पारी को संभालने में अहम भूमिका निभाई। मैच में विदर्भ की टीम ने पहले ओवर की दूसरी गेंद पर पार्थ के रूप में अपना पहला विकेट गंवाया था। फिर ध्रुव शोरे 16 रन बनाकर चलते बने।
मैच में फिर दानिश मालेवर ने करुण नायर के साथ मिलकर 200 रन पार की साझेदारी बनाई। नंबर 4 पर बैटिंग करने उतरे मालेवर और नंबर 5 पर करुण नायर ने लंच से पहले बल्ले से धूम-धड़ाका किया और 100 रन की पार्टनरशिप बनाई।
बता दें कि दानिश मालेवर का जन्म नागपुर में 8 अक्टूबर 2003 को हुआ था। उन्होंने फर्स्ट क्लास में डेब्यू आंध्र के खिलाफ नागपुर में किया था। अपनी दूसरी पारी में उन्होंने नंबर 3 पर बैटिंग करते हुए 61 रन बनाए। इसके बाद अगली तीन पारियों में उन्होंने 56,42, 59 रन बनाए। फिर गुजरात के खिलाफ अपने घर नागपुर में उन्होंने फर्स्ट क्लास में अपना पहला शतक जड़ा।
दानिश ने रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल में तमिलनाडु के खिलाफ 75 रन बनाए। फिर मुंबई के खिलाफ सेमीफाइनल में (79 और 29 रन) बनाए।
दानिश के जन्म से पहले ही पिता ने सोच लिया था बेटे को बनाएंगे क्रिकेटर
मालेवर के पिता विष्णु भी क्रिकेट फैन है, जिन्होंने शादी के बाद ही ये सोच लिया था कि अगर उन्हें बेटा होगा तो वह उसे क्रिकेटर बनाएंगे, लेकिन मिडिल क्लास बैकग्राउंड के होने की वजह से विष्णु के लिए ये आसान नहीं था।
उन्होंने सेमीफाइनल मैच के दौरान कहा था,
“मेरे पिता हमेशा चाहते थे कि मैं एक क्रिकेटर बनूं और जब मैं सात साल का था तो मुझे एक अकादमी में दाखिला मिल गया। उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया लेकिन यह सुनिश्चित किया कि मेरी क्रिकेट संबंधी जरूरतों का ध्यान रखा जाए। जब मैं अपने जूनियर दिनों में रन बनाता था तो ऐसे लोग थे जो मुझे बल्ले, पैड और दस्ताने देते थे। मेरे अंडर-19 दिनों के बाद ही पैसा आना शुरू हुआ"
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